SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 423
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साथ में आयी हुई परिचारिका के हाथ से एक छोटी थैली लेते हुए योगिनी ने उसे कुछ संकेत दिया। फिर वह मंद गति से सावधानीपूर्वक नौका में चढ़ गई। उसकी परिचारिका मस्तक झुकाकर एक रथ की ओर चली गई। मंत्रीपुत्र भी अपने खंड से नीचे आ गया था। दोनों मित्रों ने योगिनी का स्वागत किया। योगिनी ने आंख के इशारे से युवराज से पूछा- 'ये कौन हैं?' युवराज ने अपने मित्र का परिचय देते हुए कहा-'हमारे राज्य के महामंत्री भट्टमात्र के सुपुत्र सुरभद्र हैं। ये मेरे प्रिय मित्र हैं।' युवराज ने नौका-चालक को चंदनपुर के वनप्रदेश की ओर जाने की आज्ञा दी। दोनों मित्र और योगिनी ऊपरी खंड में गए। नौका चल पड़ी। योगिनी एक ओर खड़ी रह गई। युवराज बोले- 'आप विराजें.... 'युवराजश्री! अब इस विवेक का त्याग करें।' 'आपके वेश की मर्यादा....' 'ओह ! अब इस मर्यादा का अन्त आ गया है।' कहती हुई योगिनी हंस पड़ी और एक आसन पर बैठ गई। उसके सामने के दो आसनों पर देवकुमार और सुरभद्र दोनों बैठ गए। थोड़े क्षण मौन छाया रहा। मंत्रीपुत्र अनिमेष नयनों से योगिनी को देख रहा था। योगिनी ने मधुर स्वरों में कहा-'आप क्या देख रहे हैं?' 'अपने मित्र की पसंदगी।' 'पुरुष की पसंदगी से भी स्त्री की पसंदगी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती है।' कहते हुई योगिनी ने तिरछी दृष्टि से युवराज की ओर देखा। युवराज बोले- 'देवी! आप...' बीच में ही योगिनी ने कहा-'क्या विवेक का बंधन अत्यन्त गाढ़ होता है?' 'नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।' युवराज ने कहा। 'तो फिर इसे छोड़ें। जहां मन का मिलाप होता है, मन प्रफुल्ल बनता है, वहां विवेक अधिक गंभीर माना जाता है।' 'तो फिर तुम्हें किस नाम से....?' युवराज ने प्रश्न किया। 'मेरा नाम मालिनी है।' 'अत्यन्त मधुर नाम....वास्तव में आप मालती पुष्पों से भी अधिक सुंदर और कोमल हैं।' मंत्रीपुत्र बोल उठा। 'मुझे लगता है, आपने काव्यशास्त्र का अभ्यास किया है।' योगिनी बोली। ४१६ वीर विक्रमादित्य
SR No.006163
Book TitleVeer Vikramaditya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahraj Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy