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सं० १८५९ रो लिखत (सामूहिक मरजादा) ७. (पृष्ठ ३३ से संबंधित)
ऋष भीखन सर्व साधां रे मरजादा बांधी, सं० १८३२ रे वरस, तें तो सर्व कबूल छै। तिण मर्यादा मां सूं वीरभाण त्रिलोकचंद चंदरभाण ए मरजादा लोपनै भागल हुवा, ते तो जिण मार्ग सूं टळिया, त्यां नै दसमो प्राछित दिया बिना मांहि लेवा रा त्याग सर्व साधां रे छै।
हिव आगली मरजादा नै कायक फैर नवी मरजादा बांधी छै ते लिखिये छै। सर्व साध - साधवियां नै पूछी ने या कनै सूं कहिवाय नै मरजादा बांधी छै ते लिखिये छैसर्व साध - साधवी भारमल जी री आगन्या मांहे चालणो ।
शेखा काळ विहार चोमासो करणो ते भारमल जी री आगन्या सूं करणो । आगन्या लोप नै विना आगन्या कठै इ रहिणो नही ।
दीक्षा देणी ते पिण भारमल जी रे नामै देणी, दीख्या देने आण सूंपणो ।
उद्देश्य
चेला री कपड़ा री साताकारिया खेत्रां रो इत्यादिक अनेक बोला री ममता करकर नै अनंता जीव चारित्र गमाय नै नरक निगोद मांहै गया छै। बलै भेषधारयां रा एहवा चैह न देख्या तिण सुं शिषादिक री ममता मिटावण रो नै चारित्र चोखो पाळण रो उपाय छै। विनय धर्म नै न्याय मारग चालण रो उपाय कीधो छै । भेषधारी विकळा नै • मूंडे, भेळा करै ते शिषां रा भूखा एक-एक रा अवर्णवाद बोलै, फारा तोरो करै, मांहोमां जिया राड़ झगड़ा करै एहवा चिरत देखनै साधां रे मरजादा बांधी छै । शिष्य साषा रो संतोष राय नै सुखै संजम पाळण रो उपाय कीधो छै ।
समर्थन
साध साधव्यां पिण इमहीज को
१ भारमल जी री आगन्या मांहै चालणो ।
२ शिष्य करणा ते सर्व भारमल जी रे करणा ।
३ औरां रे चेला करण रा त्याग छै । जाव-जीव लगे।
४ भारमल जी पिण चेलो करै ते पिण बुद्धिवंत साध कहै - ओ साधपणा लायक छै, बीजा साधां नै प्रतीत आवै तेहवो करणो, बीजा साधां नै प्रतीत नहीं आवै तो नहीं करणो, कीधा पछै कोइ अजोग हुवै तो पिण बुद्धिवंत साधां रा कह्या सुं छोड़ देणो किण ही धेषीरा कह्या सूं छोड़णो नही ।
५ नव पदार्थ ओळखाय दिख्या देणी |
परिशिष्ट : लिखता री जोड़ :
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