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________________ ११. कपड़ो ऊजलो वावरीयो नही छै, नवो छै, ते पिण साथ लै जावणो नहीं, टोळा री नेश्राय छै। १२. परत पाना जाचणा ते बड़ा री नेश्राय जाचणा आप री नेश्राय जाचणा नहीं। १३. कर्म रे जोगे टोळा बारै नीकळे अथवा बारै काढै तो टोळा मांहे उपगरण कीधा ते टोळा री नेश्राय छै ते बारै ले जावण रा त्याग छै। बड़ा नै सूंप देणां। १४. आगै कागद माहै आर्यां रे मर्यादा बांधी छै ते सर्व त्याग पाळणा छै। १५. किण ही नै खेत्र आछो बतायां,रागधेष कर नै बात चलावण रा त्याग छै। १६. खेत्र आश्री कपड़ा आश्री आहारपाणी आश्री ओषदादिक आश्री बात चलावण रा त्याग छ। १७. चोमासो कहै तिहां चोमासो करणो, सेखे काळ बड़ा कहै तिहां विचरणो, १८. कपड़ा जाचै ते बड़ा री आज्ञा विना वावरणो नही। कदा बड़ा अळगा हुवै कपड़ो जरूर चाहीजे तो ठलको-ठलको तो वावरणो मही-महीं परियो राखणो। १९. किण ही नै महीं मोटो दीधां री बात चलावणी नही। २०. गुरां री आज्ञा विना साधा भेळी रहिणो नहीं, कनै बेसणो नहीं, उभी पिण रहिणो नहीं। २१. उपगरण रो देवो लेवो करणो नहीं, साधा नै सांभळे तिण गाम में जाणों नहीं। कदाच जाण्यां बिना जाए अथवा मारग माहै गाम हुवै तो एक रात्रि सूं अधिको रहिणो नही। कारण परे जाए तो गोचरी रा घर बांट लेणा, पिण नित रो नित गोचरी पूछणी नहीं। २२. वंदणा करण जाए तो अळगा थका वंदणा कर नै सताब सूं पाछो वळणो, ऊभो रहिणो नहीं। २३. कोइ साधां रा समाचार पूछणां हुवे तो अळगा थी पूछ नै सताब सूं पाछो वळ जाणो, पिण उभो रहिणो नहीं। गुरां रा कह्यां थी, कारण पक्ष्यां री बात न्यारी। २४. किण ही साधवी में दोष हुवै तो दोष री धणियाणी नै कहिणो, कै गुरां आगै कहिणो, पिण और किण ही आगै कहिणो नहीं। रहिसै-रहिसै और भंडी जाणै ज्यूं करणो नहीं। २५. किण ही आर्यां दोष जाण नैं सेव्यो हुवे ते पाना में लिखिया बिना विगै तरकारी खाणी नहीं। कदाच कारण पड्यां न लिखे तो और आर्या नैं कहिणो, सायद कर ने पछै पिण वैगो लिखणो, पिण बिना लिख्यां रहिणो नहीं। आय नै गुरां नै मूंढा सूं कहिणो नही, माहोमां अजोग भाषा बोलणी नहीं। ४४८ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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