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________________ ३० उण टाळोकर रा श्रावक इण नै पूछे, थे उण नै साधु सरधो कै नाह्यो। जब कहै पाळयो है तो ते साधु छै, म्है तो देख्या नहीं ताह्यो। ३१ गण माहिलै एक साधु तसु पूछयौ, थे सरधो भिक्षु नै कांइ। जब कहै चोखा साधु सरधू छू', इम सुद्ध बोल्यो त्यां ही ।। ३२ नंदी उतरयां पाप सरधतो तिण रौ, नाम लेइ पूछा कीधी। जद कह्यो तिण नै हुँ असाधु सरधू छू, बात कही इम सीधी।। ३३ जब टाळोकर नै तिण साधु कह्यौ बलि, थे मन में तो असाधु जाणो। लोक नै कहै पाळ्यो है तो साधु छै, इसड़ी क्यूं कह्यौ कपट थी वाणो। ३४ जब कहै द्रव्य क्षेत्र काळ भाव, देखी नै बोलणी वायो। जब साधु जाण्यौ ओ तो कपट कर नै, लोकां नै न्हाखै फंदा माह्यो। जो नंदी उतरयां पाप सरधतो तिण रा, श्रावकां रे मूहढे कहै असाधो। तो उण रा श्रावक इण नै नही मान, तिण सू करतो कपट विवादो।। ३६ नंदी उतस्यां पाप सरधतो तिण रा,श्रावका नैं कहै अवधारी। किण नै कहै उवे हुंता आचारी, किण नै कहै क्रियावंत भारी॥ ३७ बलि किण नै कहै उवे तो उत्तम पुरुष छा, किण नै कहै कहां साधो। किण नै कहै उणां रा बोल देखता, - साधु कहां निराबाधो।। ३८ किण नै कहै यां रा पोथी पाना, ए देख लेवो म्हारै पासो। किण नै कहै भाया कहै ज्यूं पाळो, साधु कहां छा तासो॥ ३९ इम झूठ कपट करै विविध प्रकार, मायावियो डाकोत ज्यूं बोले। तिण नैं पर भव री चिन्ता नहीं दीसै, मोह कर्म वशि झोलै। ४० जे टाळोकर नंदी उतरया पाप सरधतो, तिण नै मन में तो असाध जाणै। पिण चौड़े असाधु परुपतो सकै, तिण रा श्रावका कनै उण नै वखाणै॥ ४१ स्वाम भिक्षु कह्यौ महाजन विण जे, अवर नै दीक्षा म दीजै । दुषम काल प्रभाव है तिण सूं, चरण पाळणौ दुकर कहीजै॥ ४२ ते पिण भिक्षु रौ वचन लोपी नै, दीधी अवर नै दीख्या। मोह कर्म मदमस्तपणै रे, छोड़ दीधी वर भिख्या।। गण थी नीकळ्यां जाझा तीन वर्ष थया, सिरदारगढ़ थी ताह्यो। नंदी उतरया पाप सरधतो तिण रो, श्रावक सुजाणगढ़ आयो॥ ४४ जयाचार्य तिण नै पूछा कीधी, थे इण नै सरधो छो कांई। जब कह्यो म्हे तो साधु सरधा छां, इम दीयो उत्तर त्यांही। ४५ नंदी उतरीया पाप सरधतो, बलै तिण री पूछा कीधी ताह्यो। जब कह्यो त्यां नै इ साधु सरधा छां, जब जयाचार्य कही वायो॥ टाळोकरों की ढाळ : ४२३
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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