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आयरिए आराहेइ, समणे यावि तारिसो। गिहत्था विणं पूयंति, जेण जाणंति तारिसं ॥ आयरिए नाराहेइ, समणे यावि तारिसो। गिहत्था वि णं गरहंति, जेण जाणंति तारिसं ॥ इति दशवैकालिक में कह्यो । ते मर्यादा आज्ञा आराध्यां इह भव पर भव में सुख कल्यांण हुवै।
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चौबीसवीं हाजरी : ३११