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असाध सरध नै नवी दिख्या लेवे तो पिण अठी रा साध-साधव्यां री संका घालण रा त्याग छै। उपगरण टोळा मांहे करे ते, परत पाना लिखे जाचे ते, साथे ले जावण रा त्याग छै। तथा गुणसठा रा लिखत में कह्यो-टोळा सूं टळे तो इण सरधा रा बाई भाई हुवै जिण खेत्रां में एक रात उपरंत रहिणो नहीं-एहवो गुणसठा रा लिखत में कह्यो। ते मर्यादा सुद्ध पाळणी।
टोळा बारे नीकळी मर्यादा लोपे अवगुण बोले तिण री बात तो उण लखणो विकळ मांने पिण हळुकर्मी न मांने आगे पिण टोळा बारे नीकळी अवगुण बोल्या त्यां जमारो बिगाड्यो। भीखणजी स्वामी चंदू नै टोळा बारे काढ़ी। तिण अवगुण बोल्या। ते भीखणजी स्वामी लिख लिया ते भिक्षु रा अक्षरां री देखादेख लिखिये छै। चंदू नै टोळा बारे काढ्यां पछै चंदू लोकां आगै आर्यां रै आळ देवे छै, अवगुण बोले छै, तेहनी विगत
आर्यां ढीली हालै तिण सं म्हांनै टोळा मांहे किण विध राखे। २. भीखणजी रै कूड़ घणो, दगो कपट घणो, माहे काळा बारे काळा। ३. पांच रोट्यां हीरांजी खाये, पाव पाव घी खाये, सिरियारी में चोखो
चोखो आहार मिले लोळपणां री घाली क्षेत्र छोड़े नहीं। . ४. भीखणजी कोड़ कसायां विचे भारी, फतू बाई कह्यो।
रूपांजी रे खेतसी जी भाई, नगांजी रे वेणोजी भाई, हीरांजी मानती लाडकी, तिण सूं यां रो आघ आदर घणो, बीजा री गिणत कांइ नहीं,
बीजी बापरियां रोवती रहै छै, म्हारी किसी गिणत। ६. माहोमाहे आर्यां रा थांनक मांहि बायां दोय वरस हुया 'वासीदो देवे छै'।
ग्रहस्थ रा परवा कनै गुमानां जी सारी राति रोया। ८. धनांजी कह्यो-म्हारो जीभ रो स्वाद छोड़ायो। पिण साधपणो तो स्वामी
जी में कोई नहीं। ९. बापरी धनांजी रोवे छै। १०. नंदूजी घणी रोवे छै। ११. रतूजी घणी रोवे छै। १२. कुसालाजी रोवे छै। ए च्यार बोल पाली माहे बायां नै साधा बेठां कह्या। १३. मने पछेवड़ी काइ दीधी नहीं, वटको इ कोइ दीधो नहीं। १४. कनै पांच बासती थी पिण दीधी नहीं। कह्यो मां कनै को नही। १५. म्हारी मांदी री कोइ व्यावच किण ही कीधी नहीं।
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१.बुहारी निकालना।
२.स्थान विशेष।
३. टुकड़ा।
सोलहवीं हाजरी : २६७