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सुनीतां सूं प्रीतडी, ते
प्रमाण ।
रखिया
मांहिला, करै थिर परिणांम ॥
तन मन
कंपै नहीं
पण मुरजी रोहिणी सारिखा, सुगुर रीझावै जांण ॥ कार्य सूं मेरु परै, ले सुनीत परिषद समिया सर्व सारखा, कार्य मेघकुंवार तणी परै, सब तन सूपै सर्व कार्य में गुरु तणै, वनीत नो वै भितर मिलणै मिल रह्या, जिम जळ पय एशिख्या सतगुरु तणी, धारे चित नित प्रति सेवा नव नवी, राखै सतगुरु सूं एशिख्या गुणवर्धन के
सूं
सुगणां
भणी,
ध
म्है चौरा
समत
कारणै,
१३० तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
सुजाण । अगवाण |
आंण ॥
आधार ।
मझार ॥
सार ।
इकतार ॥
हितकार |
अठार ||