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संवत् बार बोहोतेर वरसे, संघवी घनो जेह; राणकपुर जेणे देरा कराव्या, क्रोड नवाणुं द्रव्य खरच्या;
हो कुमति .7
संवत् तेर एकोतेर वरसे, समरोशा रंग सेठ, उद्धार पंदरमो शर्बुजे कीयो,अगीयार लाख द्रव्य खरच्या,
हो कुमति! 8
संवत् पंदर सत्तासी वरसे, बादशाह ने वारे; उद्धार सोलमो शत्रुजे कीयो, करमशाहे जश लीयो,
हो कमति! .9
ए जिन प्रतिमा जिनवर सरखी, पूजे त्रिविध तुमे प्राणी जिन प्रतिमामां संदेह न राखो, वाचक जसनी वाणी,
हो कुमति! .10
श्री जिन प्रतिमा - स्थापन - स्वाध्याय
जेम जिनप्रतिमा वंदन दीसे, समकित ने अलावे; अंगोपांग प्रकट अरथ ए, मूरख मनमां नावे रे,
कुमति! काँ प्रतिमा स्थापी? .1
एम तें शुभ मति कापी रे - कुमति!का प्रतिमा उथापी? मारग लोपे पापी रे, कुमति! कां प्रतिमा उथापी? एह अस्थ अखंड अधिकारे, जुओ उपांग उववाई; ए समकितनो मारग मरडी, कहे दया शी भाई रे!
कुमति! .2
समकित विण सुर दुरगति पामे, अरस विरस आहारे; जुओ जमाली दयाए ने तरीओ, हुओ बहुल संसारी!
कुमति! .3
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