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पूर्वपक्ष-क्या समकिती को पाप नहीं लगे ? देखो !अधर्म द्वार में क्या हुवा? घर, हाट मन्दिर, थानक आदि तो सम्यकदृष्टी पिण करते हैं।
उत्तर पक्ष - प्रिय ! जैसा अधर्म द्वार में अनार्य मिथ्याती अशुभ परिणाम माठी लेश्या पाप को सुग्म रहित लोहीवरिया हाथ चोकणा पाप करे है ।वैसा पाप सम्यक् दृष्टी नहीं करे ।देखो भ० स० पु० 9 वर्णनाग नतुवो चेडा राजा आदि संग्राम में पञ्चेन्द्री मनुष्य का वध उन्हीं के हाथ से हुवा था । परन्तु उनको श्रावक क ह्या। न तु मंदबुद्धि या नरकगामी तथा भगवती में मिथ्याती किराणों वंचे तो 5 क्रिया, वोहि ज किराणो सम्यकुदृष्टि बेचे तो 4 क्रिया लगे । प्रिय ! समझने को इतना ही है कि जा रुद्रपरिणामवाली अनंतानुबंधिचोकडी मिथ्याती के है, जिससे वो पाप कर मन में राजी हुये और उक्त चौकडी सम्यक दृष्टि के नहीं है. जिससे लुखा परिणाम से पाप करे तो पण पश्चाताप करे । जिससे सम्यकदृष्टि को अधर्म द्वार नहीं समजना ए सम्बन्ध गहवास का है और जो मिन्दर करणा है रीति केवल धर्म का ही कार्य है। इसी से सम्मत्त दंसी न करंति पा) कहा है। इतने पर भी कोई मत कदाग्रही कहेगा कि नहीं हम तो हिंसा करने वालों को अधर्म द्वार में ही समझेगे । उनसे हम एक ही बोल पूछते हैं - .
__1 श्री मल्लिनाथ प्रभु ने अपनी मूर्ति कराई, उस में पृथ्वी काया की हिसा हुई और उसमें एक एक ग्रास हमेशा डालने से असंख्य जीवों की आहुति हुई । ये काम भी 6 राजाओं को धर्म में प्रतिबोधने के वास्ते ही किया था, अब आपके हिसाब से इन परमेश्वर को किस द्वार में गिनोगे? आंख मीच के 10 मिनट विचार