________________
[ 26 ] लकानी की प्रवृति व अभी के स्थानकवासीयों की प्रवृति [लुकाजी]
[आज के स्थानकवासी]
व्याकरण, न्याय, कोश व अलकार आदि व्याकरण को व्याधिकरण मानते थे।
पढते हैं। 32 सूत्र के सिवाय कुछ नहीं मानते थे । । टीका,भाष्य, चूणि नियुक्ति आदि बांचते और नहीं वांचते थे। रास चौवीसीयों को सावध के कह के नहीं वांचते थे।
रास चौवीसीयां मोटे पूज्य भी बांचते हैं।
अन्य मत के पंडितों से नहीं पढ़ते थे।
अब अन्य भत के पंडितों से पढ़ते हैं ।
5
मुहपत्ति हाथ में रखते थे।
5 दिन रात मुख बांधते हैं । यह | प्रवृत्ति लवजी से चली है। __ द्विदल खाते हैं और दावा करते हैं।
6* विदल आहार नही खाते थे।