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________________ ५१ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । वापिस लाइ और आचार्य सुस्थितसूरि से प्रतिष्ठा कराई । यह मूर्ति राजा श्रेणिकने बनाई थी । (२) विशाला नगरी की खुदाई से जो मूर्तियों के खण्डहर निकलें है, उन्हें शिल्पशास्त्रियों ने २२०० वर्ष प्राचीन स्वीकार किये हैं । (३) मथुरा के कंकाली टीला को अंग्रेजो ने खुदवाया, उसमें जैन, बौद्ध और हिन्दु मंदिर मूर्तियों के प्रचुरता से भग्नावशेष प्राप्त हुए हैं, उन पर शिलाक्षरन्यास भी अंकित हैं । जिनका समय विक्रम पूर्व दो तीन शताब्दी का है । (४) आबु के पास मुण्डस्थल नाम का तीर्थ है वहां का शिलालेख प्रगट करता है कि वहां महावीर अपना छद्मस्थपने के सातवें वर्ष पधारे थे । उसी समय वहां पर राजा नन्दीवर्धन ने मंदिर बनाया । (५) कच्छ भद्रेश्वर में वीरात् २३ वर्ष बाद का मंदिर है, जिसका जीर्णोद्धार दानवीर जगडुशाह ने कराया । (६) ओशिया और कोरटा के मंदिर वीरात् ७० वर्ष बाद के हैं जो आज भी विद्यमान है । क्या इस ऐतिहासिक युग में कोई व्यक्ति कह सकता है कि मंदिर बनाने की प्रारम्भिकता को केवल
SR No.006121
Book TitleHaa Murti Pooja Shastrokta Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarmuni
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year2014
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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