________________
४२
हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। दीक्षा लेने के बाद भी किसी माधु श्रावकने उन्हें वन्दना नहीं की, तो क्या आप भी भगवान को दीक्षा की अवस्था में अवन्दनीय ही मानते हैं ? क्योंकि आपकी दृष्टि से साधु श्रावक जितना भी गुण उस समय (दीक्षाऽवस्था) में भगवान में न होगा ? मित्रों ! अज्ञानता की भी कुछ हद हुआ करती है।
प्रश्न २६ : मूर्ति में गुण स्थान कितना पावे ?
उत्तर : जितना सिद्धों में पावें, क्योंकि मूर्ति तो सिद्धों की है । एवं जीवों के भेद योगादि समझें ।
'प्रश्न २७ : श्रावक के १२ व्रत है मूर्तिपूजा किस व्रत में है?
उत्तर : मूर्तिपूजा, मूल सम्यक्त्व में है, जिस भूमि पर व्रतरूपी महल खडा है वह भूमि समकित है । आप बतलाइये शम, संवेग, निर्वेद, अनुकम्पा, आस्तिक्य १२ व्रतों में से