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________________ अब यह बात भी समझने योग्य है कि सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा पर पड़े तथा चन्द्रमा का प्रकाश पृथ्वी पर पड़े यह कैसे संभव है ? क्योंकि सूर्य एवं चन्द्रमा के प्रकाश के गुणधर्म अलग-अलग है । इसके लिए एक प्रयोग करके देखे - प्रयोग : एक कमरे में पौधे को लें। इसे सूर्य के सीधे प्रकाश में न रख कर परावर्तित सूर्य के प्रकाश में रखो। अर्थात् सीधी धूप में न रखकर खिड़की दरवाजे खुले रख कर छाया में रखने पर भी पौधा बढ़ता है, मरता नहीं। ___अब एक पौधे को दिन में अंधकार में रखो। सूर्य का प्रकाश या परावर्तित प्रकाश किसी भी प्रकार उस पर न पड़े। तत्पश्चात् सूर्यास्त के एक-दो घन्टे पश्चात् चन्द्रमां के प्रकाश में उसे रखो तो पौधा मर जाता है । क्यों? ___जब सूर्य के परावर्तित या विकसित प्रकाश में भी पौधा खिलता है तो चन्द्रमा के प्रकाश में वह क्यों मर जाता है । (जबकि कहा जाता है कि चन्द्रमा का प्रकाश सूर्य का परावर्तित है) इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि सूर्य का प्रकाश एवं चन्द्र का प्रकाश दोनों का गुणधर्म अलगअलग है । अत: जिस प्रकार सूर्य स्वप्रकाशित है उसी तरह चन्द्र भी स्वप्रकाशित ही है । 86
SR No.006120
Book TitleJain Tattva Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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