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________________ यह चित्र बनावटी है। ये तो कुछ नमूने बताने के तौर से दिए गये हैं । ऐसे कई और तथ्य भी दिये जा सकते हैं । जंबू द्वीप रिसर्च सेंटर के भूतपूर्व डायरेक्टर श्री जयेन्द्रभाई ने 'अपोलो की चन्द्रयात्रा' पुस्तक जिसका प्रकाशन जंबूद्धीप पेढ़ी पालीताणा ने किया है । इसमें ये सारी बाते विस्तार से समझाई गई है। कई स्कूलों, छात्रों, शिक्षको, पुस्तकालयों, संस्थाओं ने चन्द्रमा पर मनुष्यों (अपोलो अंतरीक्ष यात्रियों) के उतरने के संबंध में शंका करते हुए प्रश्न नासा संस्था से पूछे हैं किन्तु उनके उत्तर नही मिले है । बील कैसींग नाम के व्यक्ति का कहना है कि लगभग 10 करोड अमेरिकनों को चन्द्र पर उतरने की बात पर विश्वास नहीं है । इस चन्द्रयात्रा में आर्मस्ट्रोंग चन्द्रमा ऊपर 160 मिनट चले जिसका खर्च 180 अरब रुपये अर्थात 1 मिनट का 1 अरब रुपये से भी अधिक खर्च हुआ, ऐसा बताया जा रहा है । अपोलो यान के उडने के समय जनता को तीन मील दूर खडा रखा गया था । बहुत सी विरोधाभासी बातें अंतरिक्ष यात्रियों के द्वारा दिये गये विवरणों में पढ़ने को मिली है । ये विवरण इस प्रकार है जैसे बच्चे बिना जवाबदारी के कुछ भी ऊटपटांग कहते है। पाठक का प्रश्न : चन्द्रयात्रा को झूठी सिद्ध करने के लिए इतने अधिक प्रमाण होते हुए भी हमारे देश के नेता इस पर विचार क्यों नहीं करते हैं? उत्तर: यह व्यवहार है कि यदि किसी के पास से 100 या 200 रुपये उधार लिए हों, तो उसके दबाव में उसकी प्रशंसा करनी पड़ती है । उसी प्रकार अन्य अनेक वैज्ञानिकों की बातों को महत्व न देते हुए अमेरिका के मानव सहित अपोलो-8 की प्रारंभ से अन्त तक की छोटी से छोटी बातों, चित्रों तथा प्रशंसात्मक व्यवहार आदि से भारत पर अमेरिका का आर्थिक प्रभुत्व स्पष्ट रुप से जाना जाता है। चलिए । चन्द्रयात्रा बनावटी है अब यह सम्पूर्ण रुप से सिद्ध हो गया । अब आगे बढ़ते हैं । एक योजन कितने मील के बराबर शाश्वत पदार्थो का नाप प्रमाणांगुल से होता है । 1 प्रमाणांगुल = 1 उत्सेधांगुल से चार सौ गुना बड़ा होता है । अत: 1 प्रमाणांगुल योजन = 400 उत्सेधांगुल योजन । ___ जबकि 1 योजन=4 कोस अत: प्रमाणांगुल के नाप के अनुसार 1 योजन=1600कोस=16002.25 मील =3600 मील (1 कोस के बराबर 2 मील, 2.25 मील, 2.75 मील माना जाता है। इसलिये इसमें हमने 2.25 मील को मानस रूप में लिया है।) 84
SR No.006120
Book TitleJain Tattva Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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