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इन पुस्तकों के संकलन एवं प्रकाशन में चेन्नई महानगर में चातुर्मास हेतु पधारे, पूज्य गुरु भगवंतों से समय-समय पर आवश्यक एवं उपयोगी निर्देश निरंतर मिलते रहे हैं। संस्कार वाटिका की प्रगति के लिए अत्यंत लाभकारी निर्देश भी उनसे मिलते रहे हैं। हमारे प्रबल पुण्योदय से इस पाठ्यक्रम के प्रकाशन एवं संकलन में विविध समुदाय के आचार्य भगवंत, मुनि भगवंत, अध्यापक, अध्यापिका, लाभार्थी परिवार, श्रुत ज्ञान पिपासु आदि का पुस्तक मुद्रण में अमूल्य सहयोग मिला, तदर्थ धन्यवाद। आपका सुन्दर सहकार अविस्मरणीय रहेगा।
मंडल को विविध गरु भगवंतों का सफल मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद :
1. प. पू. पंन्यास श्री अजयसागरजी म.सा. 2. प. पू. पंन्यास श्री उदयप्रभविजयजी म.सा. 3. प. पू. मुनिराज श्री युगप्रभविजयजी म.सा. 4. प. पू. मुनिराज श्री अभ्युदयप्रभविजयजी म.सा. 5. प. पू. मुनिराज श्री दयासिंधुविजयजी म.सा.
अंत में "जैन तत्त्व दर्शन' के विविध पाठ्यक्रमों के माध्यम से सम्यग् ज्ञान प्राप्ति के साथ हर जैन बालक जीवन में आचरणीय सर्वविरती, संयम दीक्षा के परिणाम को प्राप्त करें ऐसी शुभाभिलाषा...
संस्कार वाटिका - जैन संघ के अभ्यूदय के लिए कलयुग में कल्पवृक्ष रूप प्रमाणित हो, यही मंगल मनीषा।
भेजिये आपके लाल को, सच्चे जैन हम बनायेंगे। নিয়া দুৰ্নী ভন, ইন লঙ্কান বনা।।
जिनशासन सेवानुरागी श्री वर्धमान जैन मंडल
साहुकारपेट, चेन्नई-79.