SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ _जैन तत्त्व दर्शन संस्कार वाटिका में बाल वर्ग से युवा वर्ग तक के समस्त विद्यार्थियों को स्वयं के कक्षानुसार जिनशासन के तत्त्वों को समझने और समझाने के साथ उनके हृदय में श्रद्धा दृढ हो ऐसे शुद्ध उद्देश्य से "जैन तत्त्व दर्शन (भाग 1 से 9 तक)" प्रकाशित करने का इस वाटिका ने पुरूषार्थ किया है। इन अभ्यास पुस्तिकाओं द्वारा "जैन तत्त्व दर्शन (भाग 1 से 9), कलाकृत्ति (भाग 1-3), दो प्रतिक्रमण, पांच प्रतिक्रमण, पर्युषण आराधना'' पुस्तक आदि के माध्यम से अभ्यार्थीयों को सहजता अनुभव होगी। इन पुस्तकों के संकलन एवं प्रकाशन में चेन्नई महानगर में चातुर्मास हेतु पधारे, पूज्य गुरु भगवंतों से समय-समय पर आवश्यक एवं उपयोगी निर्देश निरंतर मिलते रहे हैं। संस्कार वाटिका की प्रगति के लिए अत्यंत लाभकारी निर्देश भी उनसे मिलते रहे हैं। हमारे प्रबल पुण्योदय से इस पाठ्यक्रम के प्रकाशन एवं संकलन में विविध समुदाय के आचार्य भगवंत, मुनि भगवंत, अध्यापक, अध्यापिका, लाभार्थी परिवार, श्रुत ज्ञान पिपासु आदि का पुस्तक मुद्रण में अमूल्य सहयोग मिला तदर्थ धन्यवाद । आपका सुन्दर सहकार अविस्मरणीय रहेगा। मंडल को विविध गुरु भगवंतों का सफल मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद: 1. प.पू. पंन्यास श्री अजयसागरजी म.सा. 2. प. पू. पंन्यास श्री उदयप्रभविजयजी म.सा. ____प. पू. मुनिराज श्री युगप्रभविजयजी म.सा. __प. पू. मुनिराज श्री अभ्युदयप्रभविजयजी म.सा. 5. प.पू. मुनिराज श्री दयासिंधुविजयजी म.सा. अंत में इस पुस्तक के माध्यम से बालक/बालिका सुपवित्र आचरण एवं शोभास्पद व्यवहार द्वारा स्व-पर के जीवन को सुशोभित बनाकर जिनशासन के गरिमापूर्ण ध्वज को ऊँचे आकाश तक लहरायें। भेजिये आपके लाल को, सच्चे जैन हम बनायेंगे। दुनिया पूजेगी उनको, इतना महान बनायेंगे। जिनशासन सेवानुरागी श्री वर्धमान जैन मंडल साहुकारपेट, चेन्नई-79.
SR No.006117
Book TitleJain Tattva Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages76
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy