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________________ 2. धारणा - अभिग्रह पच्चक्खाण धारणा अभिग्रह पच्चक्खाई (लेने वाले बोले पच्चक्खामि), अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरई ।। (लेने वाले बोले वोसिरामी) (कुछ भी वस्तु के त्याग के लिए एवं नयी आराधना के लिए यह पच्चक्खाण लिया जाता है।) C. विधि विभाग 1. चैत्यवंदन विधि (चैत्यवंदन यह भाव पूजा है, अतः इसके प्रारम्भ में तीन बार निसीहि बोलनी चाहिए।) 41. सबसे पहले खमासमण सूत्र बोलकर एक खमासमण देना 02 फिर नीचे के सूत्र खडे रहकर बोलना इरियावहियं सूत्र, तस्स उत्तरी करणेणं सूत्र, अन्नत्थ ऊससिएणं सूत्र | 3. इसके बाद “एक लोगस्स न आवे तो चार नवकार" का काउस्सग्ग करके हाथ जोडकर लोगस्स सूत्र बोलना। 4. फिर खमासमण सूत्र अलग अलग तीन बार बोलकर तीन खमासमण देकर बाद में यह आदेश मांगना इच्छाकारेण संदिसह भगवान ! चैत्यवंदन करूं ? इच्छं (कहकर (Left) बाया पैर खडा करके बैठकर नीचे का सूत्र हाथ जोडकर बोलना) 6. सकलकुशलवल्ली पुष्करावर्तमेघो, दुरिततिमिर भानु: कल्पवृक्षोपमान: भवजलनिधिपोत: सर्वसंपत्तिहेतुः, स भवतु सततंव: श्रेयसे शांतिनाथःश्रेयसे पार्श्वनाथ: ।। 7. फिर चैत्यवंदन बोलना (हो सके वहां तक मूलनायक भगवान का चैत्यवंदन बोलना) 8. फिर जंकेंचि सूत्र, नमुत्थुणं (शक्रस्तव) सूत्र बोलना 9. फिर ललाट पर दोनो हाथ जोडकर जावंति चेइयाइंसूत्र बोलना 10. फिर खनासमण देकर ललाट पर दोनो हाथ जोडकर जावंत केवि साहू सूत्र बोलना 11. फिर नमोऽर्हसिद्धाचार्योपाध्यायसर्व-साधुभ्य : बोलकर स्तवन बोलना (न आवे तो उवसग्गहरं सूत्र बोलना) 12. फिर ललाट पर दोनों हाथ जोडकर जयवीयराय सूत्र बोलना। 13. बाद में खडे होकर श्री अरिहंत चेइयाणं सूत्र बोलना। 14. फिर अत्रत्थ सूत्र बोलना, बाद में एक नवकार का काउस्सग्ग करके नमोऽर्हत्. बोलकर स्तुति बोलना। 15. बाद में एक खमासमण देकर पच्चक्खाण का आदेश मांगना इच्छकारी भगवान पसाय करी पच्चक्खाण नो आदेश देजोजी। (फिर यथाशक्ति पच्चक्खाण करना) 16. फिर आव्यो शरणे तुमारे... इत्यादिस्तुति बोलकर परमात्मा को मोती अथवा चावल से वधाणा चाहिए। 17. फिर एक खमासमण देकर जीमना हाथ जमीन पर एवं बांया हाथ मुंह के पास रखकर निम्न वाक्य बोलना विधि करता जो कुछ अविधि, आशातना हयी हो, उसके लिए मन, वचन, काया से मिच्छामि दुक्कडं। 18. अंत में जिनशासन देव की जय हो ऐसा बोलना चाहिए। A 47AVRAN
SR No.006116
Book TitleJain Tattva Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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