SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राय नमा भारतशतमाहरु नमस्का जान मो शिक्षाणं। श्री सिद्धप्रतिमाहरु नमसकार 5 नमो आयरीश्राणं श्री श्रादाश्यप्रतिमाहरु नमस्कारान मोदनाया। अपाध्याययतिमाहरु नमस्कार! नमो लोग सबसाऊ पाइलोक मनुष्य क्षेत्र माहि मनश्श्क मेरा मिमांहिा सर्वेसाप्रति माह रुनम स्कारा सोचना मोकारो। चपरमेष्ट प्रतिनिमस्कारासादस विकी छाक सिकर सहयाद्यास गोसदी पानमण द्वारा मंगल र दसवे सिसरव मे गली के मां हिमंगल का पट मेहवई मंगला प्रथम मंगलीक नु कारागारमा) समणी बाइक ही दाबनाहकमा श्रमणा श्रमशक हाइक ही शरीरादी ने कही वो मणि काय कही शेरनी सक्तिकरान शनिमही या एकता पाए व्यापार निषेध करीन मशावदामि कहो मस्त्रिकिकरी दबाबकारि हेरा कही नगदना सुहराई की सु परति श्रतिक्रमी सुताही देश गवन नगरी र निराबाधा कहीशन दाराशरीर नश्वयनिश बाध्य शिसुख संयम जावा नरखगवन संयम या दानश्वाविद यसदरणीयादिइंद्री ना. से बरनार बियां केही छाए इंद्री श्र शिक्षा द्वारी पादि ईडी नासंदरनार बशन विदेश त्रिविविब्रह्मदर्शनी शुतिक दीवामिहिनाधरणहार बनवब्रह्म वयीत केटी नि सही कही संदी (होकही शसंदेह नहीं। एक इंजि स्रोड रुषशीलवती ॐ मंतरकही शकुनि श्री तरसीमन श्रोतरहिन ही कॉलिक हो। पूरबलीकी डासना रवी नहीं जिबिस रुम बसिने बस इस सिनह। वमिश्रा दाक्षिणां कही सरस सुगंधासु हाला श्रा हार लेवा नहीं। श्रा बांद हिरवा नही सुकही घोडा वृषसनाने लिहिनदी।डिम सूर्यदेषा न दृष्टिसंदरी शांति
SR No.006113
Book TitleShrutsagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinkrupa Charitable Trust
Publication Year
Total Pages104
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy