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॥४०॥
सव्वन्नूर्ण, सव्व - दरिसीणं, सिव - मयल - मरुअ - मणंत - मक्खय- मव्वाबाह - मपुण - रावित्ति- सिद्धिगई - नामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमो जिणाणं जिअभयाणं ॥९॥
जे अ अईआ सिद्धा, जे अ भविस्संति -णागले काले संपई अ वट्टमाणा, सव्वे तिविहेण वंदामि ॥१०॥
॥ मानानादि मुद्रा विधान ॥
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॥ भावान भुद्रा॥ ॐ नमः श्री गिरनार - नेमिनाथ तीर्थाधिष्ठायक गोमेधयक्ष अंबिकादेवी अत्र अवतर अवतर । सर्वोषट्
॥ स्थापन भुद्रा॥ ॐ नमः श्री गिरनार - नेमिनाथ तीर्थाधिष्ठायक गोमेधयक्ष अंबिकादेवी अत्र तिष्ठ तिष्ठ । ठ : ठ:
॥सन्निधान मुद्रा॥ ॐ नमः श्री गिरनार - नेमिनाथ तीर्थाधिष्ठायक गोमेधयक्ष अंबिकादेवी अत्र मम सन्निहितो भव - भव । वषट्
॥४०॥