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________________ ધાતુ कृ 3. तन् 3. मन् २। वन् ख सन् क्षण् 3. क्षिण 3. अश् ५. क्लिश् ५. क्री 3. ग्रन्थ् ५. ग्रह 3. पुष् ५. प्री 3. बन्ध् ५. ધાતુક્રમ મૂળ ધાતુ ८८८ डुकृंग्र १४८८ | तनूयी विस्तारे १५०७ | मनूयि बोधने १५०९ | वनूयि याचने १५०० | षणूयी दाने १५०१ | क्षणूग् हिंसायाम् १५०२ |क्षिणूयी हिंसायाम् १५५८ | अशश् भोजने १५५७ | क्लिशौश् विबाधने १५०८ | डुक्रींग्श् द्रव्यविनिमये १५४८ | ग्रन्थश् संदर्भे १५१७ |ग्रहीश् उपादाने १५६४ | पुषश् पुष्टौ १५१० प्रींग्श् तृप्ति - कान्त्योः १५५२ | बन्धंश् बन्धने અનુબંધ ■ गए। खाहभो डु, ऊ, यू, ऊ, यू, ई ऊ, यू, ई ऊ, य्, ई ऊ, ग् ऊ, यू, ई ગણ श् औ, श् અનુબંધ ફળ डु-त्रिमक् प्रत्यय भाटे, •-अनिट् भाटे ग् - ७.५. भाटे. 3- Al wului şZ laseù, q-HsHI DIRI, -63.El. ऊ-क्त्वा नी खाहिभां इट् विट्ठल्थे, य्-खामा गए।, ई- 3. पही. ऊ- क्त्वा नी महिमां इट् विट्ठल्ये, य्-खाहमा गएंगे, ई- उ. पही. ऊ- क्त्वा पूर्वे विऽथे. इट्, य्-आमा गए, ई- 3. पी. 3-kal ya lascù 35, T-6.4El. ऊ - क्त्वा पूर्वे विऽस्ये इट् य्-आमा गएरा, ई- 3 . पही. નવમો डु, •, ग्, श् ई, श् • श्, ग् श् श्-नवमा गए. श्-नवभा गए, औ-विडल्ये इट्. • - अनि, ग् - उभयप, श्- नवभाग, डु-त्रिमक् प्रत्यय. श्-नवमा गए. ई- उभयप, श्-नवमा गए. श्-नवमा गए. • अनिट्, ग्-उभयपछी, श्- नवभागला. •-अनिट्, श्-नवमा गए.
SR No.006059
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size22 MB
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