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________________ ત્રીજાગણના કૃદન્ત ૩૨૫ પરોક્ષ ભૂત तव्य भेतव्य बिभीवस् हत કૃદન્ત કર્મણિ, ભવિષ્ય વિધ્યર્થ વિધ્યર્થ વિધ્યર્થ ભૂત- કૃદન્ત કુદત કૃદન્ત કુદત્ત કુદત अनीय भीत भेष्यत् भयनीय भेय हास्यत् हातव्य . हानीय हेय होष्यत् होतव्य हवनीय हव्य/हाव्य हेष्यत् हेतव्य हुयणीय हेय · अरिष्यत् . अर्तव्य अरणीय · अर्य/आर्य दास्यत् दातव्य दानीय देय दास्यमान दातव्य दानीय देय . हित धास्यत् धातव्य धानीय धास्यमान धातव्य धानीय धेय मास्यमान . मातव्य मानीय हान . हास्यमान .. हातव्य हानीय हेय पृत परिष्यत् पर्तव्य परणीय पार्य/पृत्य परिष्यत् परितव्य परणीय पार्य जहिवस् जुहवस् जिहीवस् आरिवस् ददिवस् ददान दधिवस् दधान मित . . FREE FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEER ममान जहान पपृवस् पुपूर्वस् निनिज्वस् भरिष्यत् भर्तव्य भरणीय भृत्य/भार्य बभृवस् भरिष्यमाण भर्तव्य भरणीय भृत्य/भार्य बभ्राण नेक्ष्यत् नेक्तव्य नेजनीय नेज्य निक्त . नेक्ष्यमाण नेक्तव्य नेजनीय नेज्य । निनिजान विक्त वेक्ष्यत् वेक्तव्य वेजनीय वेज्य विविज्वस् विक्त वेक्ष्यमाण वेक्तव्य वेजनीय वेज्य विविजान विष्ट वेक्ष्यत् वेष्टव्य वेषणीय वेष्य विविष्वस् विष्ट वेक्ष्यमाण वेष्टव्य वेषणीय वेष्य विविषाण परोक्ष भूत हन्त-भी-बिभयाञ्चकृवस्. ही-जिहयाञ्चकृवस्. हु-जुहवाञ्चकृवस्. भृ-बिभराञ्चकृवस् बिभराञ्चक्राण.
SR No.006059
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size22 MB
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