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________________ ૫૬૬ ધા मान BEE RE लुप्ति दीपन योक्तृ युक्ति अस्ति હૈમ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલી : ભાગ-૧ ચોથા ગણના ધાતુસાધિત શબ્દ अ (अल्/ अन | अ | अक तृ । ति अच्) (अनट् )(घत्र) (णक) (तृच्) (क्ति) मन मनन मानक | मन्तृ । मति क्षमण क्षाम क्षामक क्षन्तृ/क्षमित शान्ति रोषण रोषक | रोष्ट्र । रुष्टि लोपन लोपक | लोपितृ वेदन वेदक वेदित वित्ति दीपक | दीपितृ || दीप्ति योजन योजक असन आस आसक | असित एषण एष एषक एषित/एष्ट | इष्टि अयन आय आयक | एत । इति क्लमन क्लामक | क्लमितृ क्लान्ति छान छाय छायक छातृ 'छिति जरण जारक जरितृ जीर्ण तमन तामक तमित तमिति त्रसन त्रासक त्रसित त्रस्ति दमन दामक दमितृ दान्ति देवक दान दायक दवन दावक पदन पादक पूरण पूरक पूरित भ्रमण भ्रामक भ्रमित भ्रंशित यसन यसित यस्ति अय क्लम क्लाम जार ताम त्रास देवित दातृ दवितृ पत्तृ भ्रंशन भ्रंशक भ्रष्टि यासक
SR No.006058
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages298
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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