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________________ ४६४ હૈમ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલી : ભાગ-૧ છઠ્ઠા ગણના કૃદન્ત વિભાગ વર્તમાન | વર્તમાન | હેત્વર્થ | સંબંધક | કર્મણિ કિર્તરિ | કર્મણિ | કૃદન્ત ભૂત કૃદન્ત ભૂત કૃદન્ત मिल् (१) | मिलत् मिल्यमान | मेलितुम् मिलि/मेलित्वा मिलित लिख (२) | लिखत् लिख्यमान |लेखितुम् |लेखि/लिखित्व लिखित सृज् (३) सृजत् | सृज्यमान स्रष्टुम् | सृष्ट्वा स्पृश् (४)१ | स्पृशत् स्पश्यमान स्प्रष्टम् स्पृष्ट्वा स्पष्टुंम स्फुट् (४)२ | स्फुटत् स्फुट्यमान | स्फुटितुम् - स्फुटित्वा स्फुटित स्फुर् (५) स्फुरत् | स्फूर्यमाण | स्फुरितुम् | स्फुरित्वा इष् (६) | इच्छत् इष्यमाण एषितुम् | इष्ट्वा एषित्वा प्रच्छ (७) | पृच्छत् | पृच्छ्य मान पृष्ट्वा मुच् (८) मुञ्चत् मुच्यमान मुक्त्वा मुश्चमान मुच्यमान मोक्तुम् मुक्त्वा सिच् (९) सिञ्चत् सिच्यमान सिक्तुम् सिक्त्वा सिञ्चमान सिच्यमान |सिक्तुम् सिक्तवा दिश् (१०) दिश्यमान दिष्ट्वा दिशमान | दिश्यमान दिष्ट्वा कृत् (११) कृन्तत् कृत्यमान कर्तितुम् कर्तित्वा | स्फुरित प्रष्टम् मोक्तुम् अब छ बा जवाब के बार में छा छ नबुध बजार दिशत् देष्टम् देष्टुम् कृषत् तुत्त्वा कृ (१२) किरत् कीर्यमाण करितुम् कीर्वा कृष् (१३) कृष्यमाण कटुम्/क्रष्टुम् कृष्ट्वा तुद् (१४) तुदत् तुद्यमान | तोत्तुम् तुत्त्वा तुदमान तुद्यमान | तोत्तुम् खिद् (१५) |खिन्दत् खिद्यमान | खेत्तुम् खित्त्वा त्रुट् (१६) त्रुटत् त्रुट्यमान त्रुटितुम् त्रुटित्वा दृ (१७) द्रियमाण | द्रियमाण दर्तुम् दृत्वा धू (१८) | धुवत् धूयमान वितुम्/धोतुम् धूत्वा.. नू (१९) नुवत् नूयमान नुवितुम् नुवित्वा पिश् (२०) | पिंशत् पिश्यमान | पेशितुम् पिशित्वा पृ (२१) | प्रियमाण | प्रियमाण । पर्तुम् पृत्वा पिशित पृत
SR No.006058
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages298
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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