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________________ aato New ૨૦૬ હૈમ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલી: ભાગ-૧ પહેલા ગણના ઈચ્છાદર્શક રૂપ ધાતુ | વર્તમાના | હ્યસ્તની | વિધ્યર્થ | આજ્ઞાર્થ | શ્વસ્તની भृ मा.५. | बुभूर्षे अबुभूर्षे बुभूषेय बुभूष बुभूर्षिताहे भृ मा.५. | बिभरिषे अबिभरिषे | बिभरिषेय बिभरिङ्ग बिभरिषिताहे हे ५.५. | जुहूषामि |अजुहूषम् | जुहूषेयम् जुहूषाणि . जुहूषितास्मि मा.५. जुहूषे अजुहूषे जुहूषेय जुहूरै जुहूषिताहे ५.५. | विवाञ्छिषामि |अविवाञ्छिषम् | विवाञ्छिषेयम् विवाञ्छिषाणि | विवाञ्छिषितास्मि श्लाघ् मा.५. | शिश्लाधिषे अशिश्लाधिषे | शिश्लाधिषेय | शिश्लाषैि शिश्लाघिषिताहे भा.५. | पिफलिषामि अपिफलिषम् | पिफलिषेयम् | पिफलिषाणि पिफलिषितास्मि भा.५. लिलङ्घिषे अलिलङ्घिषे लिलविषेय · लिलचिषै लिलङिषिताहे मा.५. | लुलोकिषे अलुलोकिषे । लुलोकिषेय लुलोकिषै लुलोकिषिताहे सद् ५.५. सिषत्सामि असिषत्सम् | सिषत्सेयम् सिषत्सानि सिषत्सितास्मि ५.५. | जिहसिषामि | जिहसिषेयम् जिहसिषाणि जिहसिषितास्मि अय् मा.५. | अयियिषे आयियिषे अयियिषेय | अयियिषै अयियिषिताहे ५.५. अर्जिजिषामि |आर्जिजिषम् अर्जिजिषेयम् | अर्जिजिषाणि अर्जिजिषितास्मि ५.५. अर्जिहिषामि आर्जिहिषम् | अर्जिहिषेयम् अर्जिहिषाणि अर्जिहिषितास्मि मा.५. अशिशंसिषे | शिशंसिषेय शिशंसिषै . शिशंसिषिताहे ५.५. इषिषामि ऐषिषम् इषिषेयम् इषिषाणि इषिषितास्मि मा.५. | ईजिहिषे ऐजिहिषे ईजिहिषेय ईजिहिषै। ईजिहिषिताहे ___५.५. | चिकृक्षामि अचिकृक्षम् | चिकृक्षेयम् चिकृक्षाणि चिकृक्षितास्मि क्वथ् ५.५. | चिक्वथिषामि अचिक्वथिषम् | चिक्वथिषेयम् | चिक्वथिषाणि |चिक्वथिषितास्मि जृम्भ् मा.५. | जिजृम्भिषे अजिजृम्भिषे | जिजृम्भिषेय | जिजृम्भिषै जिजृम्भिषिताहे.. ज्वल ५.५. | जिवंलिषामि अजिवलिषम् | जिज्वलिषेयम् | जिज्वलिषाणि | जिज्वलिषितास्मि भा.५. तित्रासे अतित्रासे तित्रासेय तित्रासै | तित्रासिताहे मा.५. तित्वरिषे । अतित्वरिषे तित्वरिषेय तित्वरिषै। |तित्वरिषिताहे ५.५. धित्सामि अधित्सम् |धित्सेयम् धित्सानि धित्सितास्मि ५.५. | बिभ्रमिषामि अबिभ्रमिषम् | बिभ्रमिषेयम् | बिभ्रमिषाणि | बिभ्रमिषितास्मि ५.५. | बुबुधिषामि अबुबुधिषम् | बुबुधिषेयम् बुबुधिषाणि बुबुधिषितास्मि ५.५. बुबोधिषामि अबुबोधिषम् | बुबोधिषेयम् बुबोधिषाणि बुबोधिषितास्मि भा.५. / बुबुधिषे अबुबुधिषे बुबुधिषिताहे मा.५. | बुबोधिषे अबुबोधिषे | बुबोधिषेय बुबोधिषै बुबोधिषिताहे भ.५. बिभ्राजिषे अबिभाजिषे | बिभ्राजिषेय बिभ्राजिषै बिभ्राजिषिताहे | शिशंसिषे 网爾丽丽珊珊派丽 w狼刑啊啊丽;兩日四明明明明啊 | बुबुधिषेय बुबुधिष
SR No.006057
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages308
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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