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________________ ૧૯૦ नमत् पठत् पतत् रक्षित उद्यमान वदत् वसत् उदित भणितुम् खादत् હૈમ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલી : ભાગ-૧ પહેલા ગણના કૃદન્ત વર્તમાન | વર્તમાન | હેત્વર્થ કે સંબંધક | કર્મણિ કર્તરિ | કર્મણિ | કૃદન્ત ભૂત કૃદન્ત ભૂત કૃદન્ત नम्यमान नन्तुम् नत्वा नत पठ्यमान | पठितुम् पठित्वा पठित पत्यमान पतितुम् पतित्वा रक्ष्यमाण रक्षितुम् रक्षित्वा वदितुम् उदित्वा उष्यमाण वस्तुम् उषित्वा उषित भणत् भण्यमान भणित्वा भणित खाद्यमान खादितुम् खादित्वा खादित दहत् दह्यमान दग्धुम् दग्ध्वा दग्ध अटत् अट्यमान | अटितुम् अटित्वा अटित अर्चत् अर्घ्यमान | अर्चितुम् अर्चित्वा अर्चित चलत् चल्यमान चलितुम् चलित्वा चलित चर्यमाण चरित्वा जीव्यमान जीवितुम् जीवित्वा जीवित त्यजत् त्यज्यमान |त्यक्तुम् त्यक्त्वा त्यक्त क्षर्यमाण | क्षरितुम् क्षरित्वा क्षरित क्रीडत्' क्रीड्यमान | क्रीडितुम् क्रीडित्वा क्रीडित जपत् जप्यमान जपितुम्. जपित्वा जपित जिम्यमान | जेमितुम् जेमित्वा जेमित निन्दत् निन्द्यमान |निन्दितुम् निन्दित्वा निन्दित वर्षत् वृष्यमाण वर्षितुम् वर्षित्वा वर्षित शुच्यमान शोचितुम् शोचित्वा शोचित जयत् जीयमान जित्वा जित | तीर्यमाण तरितुम् तीर्ण धावत् धाव्यमान धावितुम् धावित्वा धावित भवत् भूयमान | भवितुम् भूत्वा सरत् | स्रियमाण सर्तुम् सृत्वा स्मरत् | स्मर्यमाण स्मर्तुम् स्मृत्वा | क्षयंत् |क्षीयमान क्षेतुम् | क्षित्वा |क्षित चरितुम् चरित चरत् जीवत् UTIITTI TUTTI FFEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE F FFFF क्षरत् जेमत्. शोचत् जेतुम् . तरत् तीर्वा (स्मृत
SR No.006057
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages308
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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