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________________ रचने शाह जिनो दाता जिनो भोक्ता, मिना सर्वमिदं जगत् । मिनो जयति सर्वत्र यो होय छो 2 जिला सोडएमेच च प्रत्यु हाता, प्रत्यु लोक्ता, निश्चय नयनी दृष्टि की स्वर्नु हाम रचनो लोग, रचनी प्राप्ति, মKই साधकना स्तर पर था वालने या रीत समय शकाय साधक कोतानो बहासन Mia इस तालावने আले ने की रीते शांतालani निर्माय हशाने लेरी तेन ती? जनाव ♡o भय पाणु नगत प्रभुभयं छे, प्रभुताकार्यन्त्यभया याह कार्य निकाल सर्वशः 'भुर्भुव: स्वस्त्र यी शान मान्त्यि प्रसिद‌ध्यरे' यही लुक पर शास्टप्न थाली छ शान्त्यिनु 1 'व्यक्त्या महोपाध्याय श्री यशो विषाणु रो चंय दिशतिका' मां परम शक्तिले प्रहमांडव्यापिनी की छे : शिवपदस्थो ऽसौ शवल्या जर्यात सर्वगः ', व्यक्ति इसे सिद्ध शिक्षा पर अथवा भरा दिहोएगा छो- शक्ति से परमात्मा पूरा ब्रह्मांडम व्यापीनी कक्षा छ परमात्मा ૧૪
SR No.005864
Book TitleShakrastava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmalatashreeji
PublisherPremilaben Jayantilal Shah
Publication Year2012
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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