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________________ 86 1 ४३२ धिछने जार महिने पांयसात करोड पस्याता हशे खाती। समग्र लाक्तनी वातू डु खानी सामे जहा नैनो नो मनोरवननो जर्य उट्सो खावे र होटेलोनो जर्य डेटसी खावे 2 लारतमा खेड हिवसनो मनोरंवननो खर्य सजले पियानो थाय छे त्यां तमने डाप मुडवानी कठूर कधी लागती लगवानूनी लडित डब्बामा न काप खमारी दृष्टिखे सुपात्रमा काप मूडी अनुपामा बघारे કરવ त महापाप વિચાર मात्र चढा महापाप छू सधारे हेव दूयमा पैसो घरगो छे. तेवो प्रचार थयो छे 8 हेरा सरोनुं के समावड्राम दुरावणामा सावेतो पैसो खोपडे खा सरकारनो ख्यि छे. मरामून उरावली चडू तो में सामेली पैसा खापवा पडे मानव ते तमारी बुद्धि इसकी यहाँ धे बुद्धि इसकी छे छे ते सूर्यर्व है. लले पछी, खाओ दिवस परमात्मानी सरडार सुपात्र लकित करता होय ने तो तमे नही मानता 2 मानव हृदयमा अलु महिर मा पारनी मूर्ति छे के खेषु मानीने पूल करता तुमारी लंडित ४ जोरी छे ४: रहती नही चूक डरवानी ४३२ पावना लान लूचा " लोडो छे लाखना जंवा धमो खाएं जोसता नही छूता या प्रयार चोटो थाय छे समानमा हलो मागसोनी विचारधारामां या येप ईसाचो छे जहार के नाह धरमा पा खां येप सांगी गयो हो, होथी q homnery डरीने तमारी दृष्टि जहसवा मांगु छु जोसीने पूल डरीचे तेना डरता થી खरसीचे तोर 21M!! खनुकंपा मां acja 1 .
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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