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________________ 53 અપાય परीक्षा तीन व उरायः तेने महत्व तो न क सला: - लगवान महावीरे ऽधुं छे के हुतज्ञन जनक खानु आयबियत पण नची वेळी पासेची मयु होचू नैनो व्यडार मानवो 8. se साहेबक खानों ने तमे खावी खर्च उड़ता होती तूमे बाप जाव छो. प्रभु महावीरे जुह दु खाने धर्म है स्थायु छ, ते समचड़ धर्म छे. क्यारे जीन जहाँ धर्मी मियां वर्ग थे जुह प्रमुख चला निहा डरी छे. खमुझ हेडालेची साई मनवा छता प्रशंसा न 8 राय. ય કૃતજ્ઞ ગુણી પ્રશંસા પણ જાહેરના उपयोगी धो राडू तेम होय तो જૂ ડશૂય, અયોગ્ય यात हाच तेनुं लहेरमा बहुमान करोतों होष ४ लाग प्रशंसाथी पटसाहन मजे छे, पोटानु खंडन gaya चंडे देखो . खाम नही डरता न सायु मार्गदर्शन खायी शडशे नहि हो गुणगाठी दृष्टि मारे पियारीचे खेडूली गुणग्राही दृष्टि होवी लेखे सेथूनची. तेमा साचे विवेडी बनवु पड़े जुलाहोष जन्नेनो विवेक डरीने बच्चने समभवक होच तो खसंत्वनुं खंडन डरक कपडे ४ के होखने . પારખી પડી મૂલ્યÜડન વી डरती ने गुला पत्र ग्रही नधी राड़ती होष नेचा પછી व्यक्तिगत रीते द्वैप डरवानी नही: खमने चला यामा संगतरीत જાપ ગ્રૂપ નહી. ઘણું જ खराज এहे रहयु छे, तेबी सायु डहेती वखते खा कधी वातो समभववी यु छ हु व्यक्तिगत बीते समीक्षा નથી, સંઘાં બધા શું કરે ને શુનક તેની જવાબદારી उरला मांगती •
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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