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________________ ॥ ॐ श्री पार्श्वनाथाय नमः ॥ ^ સરુન્ધીન 4 ॥ ॐ श्री पार्श्वनाथाय नमः॥ सदगुरुल्यो नम 1. श्री युगलूषाविषयक सद्गुरुल्यो नमः ॥ (अनुचाहान) मंगलवार सोपाटी १७-१-४ ! અનંત ઉપકારી, અનૈતૂનાનીશી તીર્થંકર परमात्माना मुखडमजली नीडजेली सूर्य कृवनां हत्याराने करनारी वाली द्वारा धर्मतीर्थनी વાણી स्थापना डरे छे स्थापना उरती वपने लेखों सूर्य उपेतच्वनी उपदेश खाये छे पछी परिपूर्ण ठूचे सूत्रधारा गाधरी गूंटी के ख इल्याानो मार्ग छ, भ्वा सुधी तीर्थंकरो सहेहे वियश्ता होय छे, त्यासुधा नमो उ451] वाली द्वारा पुरता होय हे ते पूछी महापुरुषों द्वारा "खायशा सुधी ते तत्व खावे छे. 1. इसी काजमा २१००० वर्ष सुधी स्पा धर्मतो कोरे टडवाना से खा आजमाँ तीर्थस्थानो माहूरी उपावायो बघु छे खा स्थावर संपत्त गमे तेटली होय चहा सूत्र- शास्त्रोनो वारसी न मी होत तो खायो खायला खात्मानुं उल्याला साधी शडते नहि परंपरा ना प्रभाव द्वारा या शास्त्री मप्या ප්‍රි भे खायो तच्च के सार पामवा होय तो सातंजन इयें रक्षा शास्त्र ४ थे, लते खाडारमा लागे ने हिमन या साथी छली बची यहां तेनी खेहर रहेला तत्चना रहस्थन मूल्य खोडी शडाय तेम नधी, संपूर्ण जलनों तेमांधी मजेब खे. नाना तीर्थंकरोनी गंभीर वाली मा खाडामोमा
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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