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11. 4.पू. श्री युगलूषाविनयक सह गुरुल्यो नमः ॥ रानुपादान.
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योपाटी
शुक्रवार
२८-१-८४ खनंत उपकारी, अनंत ज्ञानी श्री तीर्थंकर
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श्री जहार डा स्थापना हुवे छे.
परमात्मा भगतना कव मात्र ने ·3137 ज्ञान प्रहान
खा भगतमा मोटामा मोटो
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ज्ञानी योनी दृष्टि से भेडो उपहार होता ये है भवने साथी खात्म उल्याणूना दृष्टि व्यापची खात्मा आहे. हितकारी ने सहतकारी शुद्धते व टुष्टि प्रलु भगत ने धर्मगुरूने वय ३२४.३५ क्वाहारी इथे शुं स्थावे छेडे नर्थनी आज्ञा मुब्ज के हितडारी ने सत्य होय ते भगत ने
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ये छे. पने शासनमा घूरना खाज्ञा
गाव.
ज्ञानरूप संधहारमा करवा मारे धर्मवीर्थनी
न
तमने
नमे (श्रोता) प्रोटाने खोटा तरीड़े छोडी राडो सायाने साया तरीके खायरी नं राडी ते जराजर छे. चहा धर्मने धर्म तरीके स सूधर्म ने अधर्म तरीडे स्वीकारखा तो भेखे क खाछामां खोछी खासी सायंडात तो भेळचे ४. हितकारी ने अहितकारी नभे જણાવવું જ भेटखे या बघु यहां समारे स्वतंत्र जुधिधी डहेवानुं नथी, परंतु पूर्ण ज्ञानी खोना वचनना योग्य रखने योग्य वेखयोग्य नगाववानुं छे. खप्यारे तमे डां0 A grade ना साधक नही, तमाश भवनमा अप्यारे खदर्मनी हिचा खो याते छे. पैसा कमाल छो, सायवो छो ने तेनाथी मोम यहा
साधार योग्य न
घवी
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