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________________ 347 अँधे चाप रोछो तेंवु नही. या धर्मनी डोछे लडित लाव न होचतो यस्ले यसुं नधी, धर्म डुरो छो प्यारे ४ युल्य सत्ना:- यहा सरसवना साहेज :- सरे, सरसवना पुल्यानुजंधी चुल्य होतों हशेतो हामारो ४शे शरखानथी sie कृषल हवना . हाला केटलू..? वहाएगा भेटलू य लेडो चार धो जयी धर्म खावी लो नधी लगवान भवे घना सार्थवाहना लवमा डेटलो धर्म ड्यो छे ? डांघ तेमो दिक्षा सीधी छे? लाव खावडयां या चाम्या नयी व्रतों हो खाराधना यल नही करी, समडिव चल नही याम्या ईडन जोधी जीन चाग्या छे. महात्माने हान करीने बोधीजीन चाग्या छे, सांसारिक रीले लोगयन माहास छे, चहा प्रवृत्तिधी उहार-सम्बन सहिष्णु छे, प्रेमनामा उत्तम पुरुषना गुगो छे पत्नी रीने डोह मोटो धर्म अध्यात्मनी नधी ज्यो पत्र के अर्थो छे जीव भेटलो छे, साया धर्मनु वायु छे. जी खेटलू कुचु ड़े 43 लवमा तो तेने ड्यांच चहो गाडी दीघा 93 लवमाथी चहला त्यवमां तो सांव सामान्य युल्यानुबंध युल्य बाँधु के ते बाँधवाला तेना द्वारा ते युष्यनों गुणाकार थयो के अनुबंधमा सरवाजा, जाहलाडी लागाडार नथी, पल कलाकार Plell-sia छे चाय हशेतो यापनो गुगाडार घशे जी धेशे तेथी ४ छे भने पुल्य होतो पुण्यनो गुएलाकार त्यायनो अनुबंध चांडनार मे नुडुशानू न बारे युरानो अनुबंध पाडनार ने तेनी છે પુછ્ય डे खाम डा जा राघुना शुललाव . नुउशान उद्‌घान्ति घाय
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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