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________________ 341 साहेजक: डोघे पूछे डे खा वानगी हेली ४ बु माया ด बनी छे ? तो सारी जनी होयतो सारी उहेबानी सहयने सत्य तरीके करवामां बांधी नहीं 1 लाव यह खेहर मानसिक नो ने तथा टेस्थी जाव नेते जोड नधी ते लावू न भेोखे. तुमने थायडे मकतो हरवी કરવી જ वेट नेट चला जूिन कपूरी नहि ४ जोलवान नगर डारले शक्ति वेडझवानी संता: पार्टीको मां से साहेजस्तो ते पापनी अनुमोहना छे करगी जुरूने अनुमोहना नही જ धाबू छे करे तेनेयाय संधाय उहेबांच तेनी खजर न होक પ पाय तेथी खज्ञानताथी अनुमोहना करे तेथी हजलो डर्मबंध धाय: मोक्षमार्गमा खावेलो का भली नोचने पापनी अनुमोहना दुरे જયા डरे नहि अज्ञानताको अनुमोहना सुधा मिध्यात्व छूटतु नधी त्यांसुधी अँध दिवेडनो नधी तेमां हीलो पा रहेलो विवेक छे. केटला वैराज्य के विवेक ओछा नेटला पापना जुज वधारे प्यारे वैशस्य ने विवेक संपूर्ण खांधी काय तो १००% युग्यूनो अनुबंध पडे D. डाराडू समडित मृत छे धमा यहाँ ते चापनी अनुमोहनान हुरे, सुमकितने राजू बाय चूहा राग नळगमे समस्तीने खासहित होते. सला:- हो यछी 813. खज्ञानताथी ४. पाप समहीती कली जुलीने चांप करे २५ 2 साथ साहेब:
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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