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४, संहर
हाथ नाखोत
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जधा
मारे
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संहरतो गरमा रहेबानो हाथ हाथी भय. तेवी रीते खात्मामा र उपायोना चारगाम यच्चा शालू के चली लसे तूमे शू पद्धतिमा लावोनो पल्टो न १२झर न डरी शडो यूजी से छे ङे नमारा मनमा रहेला शुल खशुल लागोनी नोंध के. शुल लाव डे शुल हिचाची व जवाच खेषु नही
इमर्जधमा
चुहिया श्रापड़ने यत्र पूल
करता अधिविनुं पाय लागे छू
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चापू साडो छेः खाखी दुनिया खाव उत्तम खाक होवा छत्ता या तेना ठेवाने उर्मजेध बालू हे खानु डारण शुर समा: खविशतमा छे. साहेब:- पविति खेटले शुर सभा:- पंखा नथी. साहेनन्:: यवित खेतो भाव रहेला के जाल खेतो खुवितनुं लाव रखने साधननो
तझबूत
न उरता
avel लालो त्यां सुधी तीर्थ र लुगीता पुगे जायरे पहा डर्मनैधमा जनावी खेडलुं चुल्य
ध भालु खड़छी डिलो
के अंदर साधन है.
पयानो सलाव से अविरतिनुं डारण छे विति से रागद्वेषना ब्यागना लाव. अविरति राग जेवनो लाव है.
खानाही उर्मनध
यालु छे तेथी चापने पुल्चनो छे. या जंधूनी ताझत शुं र चना खाने जूटाडो तो खलास वह कय: खेड हालानी तान ईटली? मांड