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________________ 293 मांड्याने त्याह-क्षपडली, शुडलध्यान ने केवलज्ञान खातो खरदेश में वु छे भ्ता नही खनता भुवोमां बघुन चामी गया. यहा या रीते मोक्षमो भयः जधा Буз मोझे જ્યા मुख्य साधना करता माटेनो रस्तो उंचोर पहेला धर्म सामग्री याम बह्यांची धर्मनु यायनंदन उरी गुलोनो विकास डरी, जीभ पात्रला लवमा पधारे विकास डरी, तेम नमन्नमनी भय ने खात्मा સવૅગુણ સૂપન્ન થઈ संसारमा छीने त्यांसुधी सामग्री तो भेशे मनुष्य - दूतरा जिलाडा के नरडना लवम मनुष्यलयमा धर्धये तो ड्ररी नधी शडवाना मनुष्यलयमा या जही सारी सामग्री भेडो हवे आ जई खापनार होता है चुल्य छे, तेथील युल्य ने गोडीने हेय जोलवु ने मिया सामाने भौ तूटता मोक्ष भूय या भ्यां सुधा था जघी चुरुषार्थ दुवा આ બધા કરવા लवडे हे वर्गात भेडो अखडे मूंगा जहेश, बोजडा साधना खेडांतवाद पुन्यन वे पुष्य इल्यान साधन બનતા દર્શતિનું साधन બન तें पुष्य हेच छे, जधा व चुलचने हिच मानतो मिया खुडाने निश्ययवाह छे मोक्षेतो डर्मनो क्षय करी निर्कशू डरीनेभ्यानु छ चला लेना माटे शुल डे खालंबन भेाशे केम शायत्रीने लावा माटेक ४ सामग्री युष्य थी महे शक्ति यहा પુણ્ય થ थी ४ मजशे आराधना पोषक साधन तरीके के मुख्य छे ते मपशे सूमक्वा माहे समवा ने खायरवा चिलल ने पुल्च श्रमान नुदुशान ܗ . ભાવ नाव मारे सावार्थ छे ४ युस्थधा दुरे ते भ
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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