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________________ 289 खाने छे. हवे त्यां व्यक्तिगत खायार होय त्यां पोतपोतानी लाखामा जोसवामी होय नयी हरेड व्यक्ति योनी लापामा खालोयना से माटे महापुरुषो खे गुकराती मां गूंधी खाच्छु छे. या रुपाने समनुवा मारे यहा जुधि होडावता नथी. महापुरुषो चाय या छेतेने पाप तरीडे मानी छोर घामान मांधा, परिग्रह सेवता याच तरीडे लागे छे टू ले परिग्रह, पाप सागत होचतो नीतिधी उमायेलो पैसो या सारो न लागे संपूर्ण हिंसा वगर नीतिपूर्वक मायेलो पैसो चलू या सला:- खमेतो चुल्यो उहच समये डीजे साहेब:- तुमारी याच्या प्रमाणे के वधुपडतु लेगु तु खेने परिवार उहेवाती होयतो બદાખારી અÍગટી જ ડોવાર माहांस बरियात पूरन लेग उरे ते परिग्रह परिग्रह खेटले वेटला या विराधनानां साधनी स्वासक्ति के मूर्छा थी लेगा उरोते जधा परिग्रह डहवाशे पछी मते जे योधर यहा होय. हामे परिसहूनी व्याया स्पष्ट नहि समनेतों समे परिवाही हेवाशु खमारी पासे चला डाकूमा जेयार थडा होय. परंतु समारी चासे घेते जहा ઉપકરણ છે. અધિકરણ નથી. કપડાંને चल परिग्रह नहीं के विराधनानु साधन પરિશ छ उपड़ रहाने यहां के ममतानु साधन जनाये तेमा खासउित खावेतो तें चरिग्रह है, मारा मनमा के व्यासक्ति ठे होयती हूं संपरिवाही उहेबाशઅપરિટી ममता: न 'तू
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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