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________________ 281 चुल्य अंधाधु यत्र महूता अनुबंधनी हो डীपरण खाला अनुबंध वगर मोक्षूमार्ग पर थंडी राडतो नहीं, यही लसेते गमेनेरला गुरिंगयल होय. हे पल्यशाली होय पा तेनाची उट्यादानो मार्ग दूर ४. संबंध करता याम अनुबंधनी महत्ता समेत गली छे 10 मानुबंध युष्यनो होते अशुलबंध डब्ती वखते के वही नही पुष्यबंध उब्ती वजन के यानुबंध चापीना तमे चोटना मात्रै छो अधोगतना मार्गे छो पुण्यधर्मन सामग्री है लौतिक सामग्री : खाये रखने के तेनो દૂરઉપૂયોગ ડો તો પાપ બંધાવ धर्मना साधकोनो के रेपयोग डूरोतो. जडु ू लारे पाप जधो लीतिक सामग्री नो के हुरउपयोग डरोतो चा पाथ જ બધાય ગ્નેટલે या युल्य चायना योषामा ၁ जन्य ने पायना यमां પાપનું પોષક કે પાપનું ભવર્ધ पूरक પુ બન્યું . જૅ जेनेते युल्य આમાં मारे खतरनाक छे. खायुष्य सारा अमो तथा सहगुलोधी के जंधाय छे. खाम हावा सहगुलो सालकारी नाही या नुकशान में मारे धया शाश बेपारीने मारर्केट वखते लागे खराजू हे या धंधों डरवाधी सत्यारे लले भने नुशान धूरों पहा सांधा गाणे ते बालकारी छे तो ने हैं।धी प्रेम दधामा सांजा गणित होय छे तेम अधमा यस सांबा गरिगत होय छे डर्मवा बंध तुझस इस विचाउने खाये छ, सुज, युल्य जेध द्वारा नडडी धाय हे अनुबंध तमाश त्यादिने नकी उरे हो के खाना आरा लविस्यमा कुयारे -- 1
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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