SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 258
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 255 खात्मानु खहित दुरनाश होय छे. खत्यारे खाज यामीने शंकरशेट श्रविमा क पराशे . भेटले खा युल्य संसार पोषक जन्यु या सत्ताधीशों के नाथी नरंड જ્યાંસુધી આત્મામાં અવિવેક છે. નિઘ્યાહ त्यासुधा सहगुगों झाया नही जनता, पुत्यू पापाजी चुल्य रखने युल्यानुं जंधी पुण्य नही बुहा ले. मोक्षमार्गनी साधनामा सहाय करे तेषु पुल्च 58 बीते जंघाय ते समव पड़शे. पहेला वियारो, पुत्च जांडे पाय जांछु? तेमा पहल शुललाव डेटलाने खशुललाव टला 2 शुललावधी पुरचने खशुललावधी पाप जैधारो साथ विचारवान है या जो पल देवा संधाय छोट तिमानुज देवी थडे छे? झापनो के पुष्यनो अनुबंध पड़े छे? इडत चांचनो . अनुलैध पडतो होचतो गलरावानु ङे धर्म गृति साधे रवानी छे इन शुल लाव दुरीने धर्म की सीधी तेथी जेडो पार नधी, धावड भवनमा वानामा नानु ड्राम पूल खखेषु हीडे पुण्यानुबंधी पुख्य जुधाचू रावानु કૂવાન पुल्या शास्त मजे पने नेनो सहुउपयोग २वामात्र धी चुल्यानुजेन युज्य संधाय तेषु बधी नेनो कवाज सागज खावरो · · 20
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy