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________________ 219 प्रलावना दुरी उहेयाच के प्रभावना साथी रीते यावत साजोंने कैन धर्म चूमाडी शडाय रुला :साहेब, यमअरबी धर्म चमाडी शायद आहे - के समारची प्रत्भावना धती होत तो तीर्थसे भूलू करी उहेवाशे, चहा चाय शास्त्रमा बात नधी के प्रमुख रामरथी धर्म चूमांडयो होच. शु वखते यमप्डार भेटने धर्म चामें दिवा सोडी नहोला ? प्रभु धारेतों सेड हेवताने उही केटला धर्म नही मानता देने श, तथा होना मनोरथो पूरा हुरीने हेवतःखीमां खा जदी शहित होय प्रमुख खावु डांचे महत्यु नहीं; ने खाटला पुरावा साधे वातो गुला छतिहासमा परयो जताबी धर्म चमाडी हो ळं छे छत्ता डराज्यु नही बनावता ड्रेम नही. र साहेब:- त्या खा अधी वस्तु कराये महत्त्व नधी रडूलोना डोर्समा चहा सांगी वाली जधी ! जितावाली नधी इतिहासनी धगी वातो चुरावा साठे हत्ता बतावाती नही संला ते वखते सारली छैन अब हनी तो ये डेम खोछी धर ---- छे इतिहासना रेकोडमा कैनो કરી साहेजयः पछी घला खामलो. य ह्ता तेमने चुराले शंकराचार्थना चीहजजूधी अन्यधर्ममां convert 2 ડશચાર્યનું પીઠબળથી हेवाया, कैन साधुखोने चला यशलो धर्म छोड़ावला इनसनी घमंडी ध्यानी मने हमरो डनस दुरी छ, खावी પરીસ્થિતિમાં शके, रखने खेते या डेवी रीते रहे डेरीस्थितिमा साधु खोजी કૈટલા ટક रहे तोचे
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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