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________________ 23 तक होय छे के उत्तष्ठ उहष्ट पुष्च उचार्थित संव: गधी स्थापित करे जह ३गानी लावनाची વાતસલ્ય પાસિત छे, डे केधी याचामा 4 1 साया सुखने चाही राडे देवी लावना होय छे चहलेची केले संपूर्ण सहिंसक धर्ममा को कांडता होचतो जीबू वने पीडा खायीने धर्म रखन नयी पहा ते खशय होताना डारलो तमारी के भूमि के तेनाप्रमाणे कूटिन मुकजनी हिंसाची धितो धर्म व्याजी छो, में हिंसा इमे रोक 18 डरो छो तैनाथी धतो धर्म डबा मारे तुमारे ते भूमिकाधी नीचे उतरवानुं नधी तमे हररोक पृथ्वी अर्या छो व्याय सारी के भूम नहीं उहेलो यहां नवो डाच भूवनी हिसानी लाव करवानी हठूर नहीं के लावमा चडया छोप्ने g हिंसाना लावधी दुरानी प्रवृत्तित् 4521 500 દરવાની છે. દાન માગસ પડાવ માં कुमा माटे खने पोते भने यहाँ नीडजी राडे तेम नही छा न होय तो पूरा तेमा पड्या रहेके पूडे तेथी ते तेमां खेमनेम चड्यो रहे थे, त्यारे तेने डाहवतो शरीर पर लागे छे वजते खेमनेम हाथ घसेतो योज्या थो नय न डारा मेल मेल ने कायें छे शोखी ભાવવાની नाडान छे, तेंबीरीले ू चा Sleat! જ तमे हिँसाइपी डाहवमा जेडा छो ने तेमांधी तमे जहार नीऊजी राडी तेंम नहीं, जो राडोतो 2
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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