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________________ डे याम उहेवानुं न मां विचार उँराय छ. मेह खराज न ४ दुहे उर्छु खेम उहे. : मांगो 8 हिडरानें मारी नाथ्यो, सगो आप पल छोडे मा खाम व्यवहारमा कठोर जुने या खवडावे 164 पा हिताहित छता माने १ सहित भगतना कवो चाप दुरीने दुःख याला छै रखने चाछा घ्याजु बहने नेगे चाय प्रवृति उचाना साधनों गोंडवी खायो केधी ते दुरी पाप डराने हःजी याच तेथी ४ डोरी घ्या नधी दुखानी के लौतिक छे मोळमलना : साधनो नयी खायवान केम डोने परहावु छे, डोने मंडान गयी, धंधा धाया माटे पैसा कधी खावालों टलांचे कई हह हीच छे हर्दी १६. लतिक जो भुवो डेंटला र पाछा बघा हा ● Ĉ भगतमा खेड टों यहा नं खावे धर्म-खारांधना हे खात्मडल्याहा म पुष्य पप्प समकता न होय, संसारमा धर्मनी यूवृत्तिमा इस राग होय छे 241461 89 घ्या राने चनुया साथ कही छे शासन याम्या छो तेथी तीर्थंकरे प्रबली केवी होय ते समळवा प्रयत्न करखो भेजे लगवाननी बनावेली जनगावेसी घ्या सोडोत्तर छे जीन धर्मनी घ्या कुही, ज्याख्या ज्याज्या कुही, ने પ્રવૃત્તિ પતિ બધુ જ ગુરુ છે. . જ્યા खायली हया घ्या डरता खावे लाव याशय कुहा या खायला धर्मनी विशेषता खामतो जधा धर्ममा ध्यानी वातू બોર खायला लगवाने शुं नपुं ९धुं र 1 ४ ० खावे छे घ्या धर्मडा भूल है ! तो पछी
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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