SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ખૂબર हिंसा समायेसी होय छे સ્પષ્ટ જ્ઞાન વ્યરૂપ नील हिंसा है जाय नवापूरवा तेजी यर्या ४ यूडे छें काही शयन्छे सिद्धा डर्दा पछी विज्ञान यहां १०० वर्षधी मानतुं ययुं छे डे, वनस्पतिमा कल छे परंतु कृव के खेम मांन्या यको चा व्यता डरवाना डोह उद्देश तेमना मनमा नधी वनस्पतिम कुल नहोना मानता यांरे तेनी नेटली हिंसा यती हती तेना हुरता खत्यार लव मानता धया पछी डांधे हिंसा खोछी नही धंधे खेटले खावु ज्ञानतो इडुन माहिती श्ये ० होचं . छे व्यार खायारण नही होनू कप मानवामां धोरा शुट खायो तो तीर्थसेना शास्त्रांना वयनंची कवं मानवांनो छे कव ड्यो छे इसमा खेड छ्व छे खेड टीयामांतो બસંખ્ય જીવ છે. એડ પણ અસંખ્ય જીવ છે. डर छ डायमा क्यारे पालीना જ્યોતના ભિષામાં हिंसानी दृष्टि से कुखोनो तुमने इलसमाइल हेजाय 3. पूरी . माहितीनी जाजतमा जहूरा छो कैन धर्ममा खास्था खोळी छे खा बधी खेडीडी होटडोल के खत्यारे खा आना उपर प्रभार या घलो भयो छे. खत्यारे लाखो इतनी खांगी याय छे खाखा -- हे रासरी सुशीलत डराय छे, होमों डेटसी हिंसा धाय सायलो धर्म तो हिंसामय छे. परंतु तेखने छे જ્યાર छे. 122 प्यारे सोडोने लवोनुं ફ્ક્ત વન-પતિડા इस खोछा वापरा या बघा यायामांधी ન હોવાછી तेथी ४ दुई छे इंडन इसपूलमा डारण भवनूनी ड्यांनी तेमने
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy