________________
जलालुद्दीन महम्मद अकबर बादशाहं
गाजी का फरमान
अकबर मोहरी की वंशावली जलालुद्दीन अकबर बादशाह हुमायुं बादशाह का बेटा
बाबरशाह का बिन-बेटा उमरशेख मिरजा का बेटा
सुलतान अबुसईद का बेटा
सुलतान महंमदशाह का बेटा मी शाह का बेटा
अमीर तैमुरसाहिब किरान का बेटा
सूबे मालवा तथा अकबराबाद, लाहौर, मुलतान, अहमदाबाद, अजमेर, मीरत, गुजरात, बंगाल तथा और जो मेरे ताबे के मुलक है, हाल • तथा आंयदा मुतसद्दी, सूबा, करोरी तथा जागीरदार इन सबों को मालूम रहे कि हमारा पूरा इरादा यह है कि सर्व रैयत का मन राजी रखना । क्योंकि रैयत का जो मन है, सो परमेश्वर की एक बड़ी अमानत है । और विशेष करके वृद्ध अवस्था में मेरा यही इरादा है; कि मेरा भला वांछने वाली रैयत सुखी रहे । तिस वास्ते हरेक धर्म के लोगों में से जो अच्छे विचार वाले परमेश्वर की भक्ति करने में अपनी उमर पूरी करते हैं, तिनको दूर दूर देशों से मैंने अपने पास बुलवाया । और तिनकी परीक्षा करके अपनी सोबत में रखता हूं और तिनकी बातें सुन के मैं बहुत खुश होता हूं । तिस वास्ते हमारे सुनने में आया है कि श्रीहीरविजयसूरि जैन श्वेतांबर मत का आचार्य गुजरात के बंदरों में परमेश्वर की भक्ति करता है । मैंने तिनको अपने पास बुलवाया और तिनकी मुलाकात करके हम बहुत खुश हुए । कितनेक दिन पीछे जब तिनोंने अपने वतन जाने की रजा मांगी, तब अरज करी कि गरीबपरवर की मरजी से एसा हुकुम होना चाहिये कि सिद्धाचलजी, गिरनारजी, तारंगाजी, केसरियनाथजी तथा आबुजी का पहाड, जो गुजरात में है तथा राजगृह के पांच पहाड तथा सम्मेतशिखर उरफे पार्श्वनाथजी जो बंगाल के मुलक में हैं तथा पहाड के हेठली सर्व मंदिरो की कोठियों तथा सर्व भक्ति करने की जगों में तथा तीर्थ की जगों में और जो जैन श्वेतांबर धर्म की जगें मेरे ताबे के सर्व मुलकों में जिस ठिकाने
२३३