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________________ १८ श्रीदयारुचिरचित दादाजी पद ढाल (उंबरियो ने गाजे हो भटियांणी राणी बड चूवै । कां झरमर बरसे मेहा । ए देशी ॥ ).. आज दहांडो सफल हो गुरुचरणांबुज में भेटीयां, कांई प्रगट्या पुण्यनां साज, अशुभ दाहाडा टल्या हो । शुभवलीया देह आज माहरां कांई सरीयां मननां काज । आ० ॥ १॥ मुज घर सुरतरू फलीयो, हो मुज मिलीया गुरुदेव हमारो । थाहरो चरनारो दास आस धरी, तुम पासे ही मन उल्लासे । आवियो गुरु दास निबाजो रीज । आ० ॥ २ ॥ गुरु दरशण अब पायो हो मन भायो, वंछित प्रामियो रमीयो गुरुगुणे । आज गुरुगुणे जे नर रमता हो मन गमता, लछी पांमता कांई लहता गुरुगुणे आवाज । आ० ॥ ३ ॥ श्रीगुरुने परभावे हो कांई दिन दिन, आनन्द आजे सफल फले साहू काज । श्रीगुरूने पर भावे हो बहु पावे घर सुख, सम्पदा कांई आपदां जाये भाज । आ० ॥ ४ ॥ श्री गुरुदेव प्रसादे हो वली बधे, पुत्र कलत्रथी कांई मिले सुख समाज । दयारुचि गुणगावे हो मन भावे, श्रीगुरु देवनां सेवनां लहि में आज । आ० ॥ ५ ॥ १९२
SR No.005849
Book TitleHir Swadhyaya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1998
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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