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श्रीफतेन्द्रविजयरचित
हीरविजय पद
॥ चाल जिंदवारी ॥
( श्रीगुरु ध्यान धरो सदा, शुभ मन सुखकार ए टेक ॥ ) श्रीगुरुमाने जै दिलधरै, पामै सुख अपार 1. श्रीगुरुध्यान जै भावतां गुरु आतम आर ॥ श्री० ॥ १ ॥ गुरुदरशण सुख उपजै, होवे जय जयकार | समकित पामे प्राणीयां; पूजो सह नरनार ॥ श्री० ॥ २ ॥ निरमल पहेरी धोतियां, घसी केसर घनसार । श्रीगुरुदेवकुं पूजीयेँ, गुरु जग आधार ॥ श्री० ॥ ३ ॥ तपगच्छनायक राजीयो, दादो सेवक आधार । दादो दुनियां मे देवता, जिनशासन जयकार ॥ श्री० ॥ ४ ॥
तपगच्छसंघ सांनिध्यकरो, करो विघन निवार । दिन दिन जस चढती कला, बधै पुत्रपरिवार ॥ श्री० ॥ ५ ॥ श्रीहीरविजय सूरिसाहिबो, गुरु गुणनो भंडार । चरणकमलमें भेटीवा, फतेन्द्रविजयके आधार ॥ श्री० ॥ ६ ॥
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