SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 228
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६ श्रीफतेन्द्रविजयरचित हीरविजय पद ॥ चाल जिंदवारी ॥ ( श्रीगुरु ध्यान धरो सदा, शुभ मन सुखकार ए टेक ॥ ) श्रीगुरुमाने जै दिलधरै, पामै सुख अपार 1. श्रीगुरुध्यान जै भावतां गुरु आतम आर ॥ श्री० ॥ १ ॥ गुरुदरशण सुख उपजै, होवे जय जयकार | समकित पामे प्राणीयां; पूजो सह नरनार ॥ श्री० ॥ २ ॥ निरमल पहेरी धोतियां, घसी केसर घनसार । श्रीगुरुदेवकुं पूजीयेँ, गुरु जग आधार ॥ श्री० ॥ ३ ॥ तपगच्छनायक राजीयो, दादो सेवक आधार । दादो दुनियां मे देवता, जिनशासन जयकार ॥ श्री० ॥ ४ ॥ तपगच्छसंघ सांनिध्यकरो, करो विघन निवार । दिन दिन जस चढती कला, बधै पुत्रपरिवार ॥ श्री० ॥ ५ ॥ श्रीहीरविजय सूरिसाहिबो, गुरु गुणनो भंडार । चरणकमलमें भेटीवा, फतेन्द्रविजयके आधार ॥ श्री० ॥ ६ ॥ 卐 १९०
SR No.005849
Book TitleHir Swadhyaya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1998
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy