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________________ श्रीहंसमुनिरचित श्रीहीरविजयसूरिभास सफल दिन आज हमारडउ दिखु सुगुर दीदारू, . . साध धोरिधरु गच्छपती मलु विश्वनु. . तारू... १. जो रे सही ए मुनिराजीउ, मुख सरदकु चंदो, श्री हीरविजयसूरीसरू, शमता लतां कुंड शम शुभगउ कंदो, ... - महण वलिउ कंदो जाउ रे.. आंचली.... जिम राणी रागिणी अन्हे संयम राणी रुपमि रमि तिह स्फुरतंग, .. सीअलनि सुभग आभ्रण भल्या सोहि हीरजी अंगि.. २ जो० श्री उवझाइ मंत्रीसिरू, सकल बुध्धि निधान, पंडित खाननिउंबरा म्हारो पूजि सूलतांन.... ३ जो० महाव्रत घोड्या पाखाँ, जसुमति सो · मति यांचि, उपशम रथ सिना अति भली, मिल्या सूरि नर राचि.. ४ जो० कीरति छत्र सिरिताजउ, मुगट , आण जिणंदो, करुण रे हार उर लटकतो, दोए सूमहूम चाम रे, टल्कति आंवि श्री असुणि दो.... ५ जो० वायत्रनाद सझाईउ सदा होइ कलोल, वदन वासंति भारती साची वाणि तंबुल............ ६ जो० मियण सरुपि रंजीउ खिमाय गिहण कोह, शमता इ मान माया हणे संतोष लोभ मोह.... ७ जो० कामदल हारि मनावीउ, एहनी ढुलति चटति धर्मखजानइ वाधीउ एणि रागनिदोस मद टालीउ नमे हंस ए सूगति.. ८ जो० इति श्रीहीरविजयसूरि भास समाप्तः ॥ छ ॥ शुभं भव NOWLONDOL DOLNOVNO
SR No.005849
Book TitleHir Swadhyaya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1998
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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