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१८० स्थानी नमित अर्थ | सूत्रनंब२ | सूत्र
थ् + ट् थ्थ्ट् | १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्यअने। थ् + ट् त् ट् | १-3-५० अघोषे प्रथमोऽशिटः। थ् +ट् ट् | १-3-६० तवर्गस्य श्ववर्गष्टवर्गाभ्यां योगे
च-ट वर्गौ। थ्थ्ठ् | १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्यञ्जने। थ् +
| १-3-40 अघोषे प्रथमोऽशिटः। ठ् | १-3-६० तवर्गस्य श्ववर्ग ष्टवर्गाभ्यां योगे
च ट वर्गों। थ् + इ थ्थ्इ १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्यञ्जने। थ् + ड्
द्ड् | १-3-४८ तृतीयस्तृतीय-चतुर्थे । ड् | १-3-६० | तवर्गस्य श्ववर्गष्टवर्गाभ्यां योगे
च-ट वर्गों। थ् +द थ् थ् द् | १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्यअने। थ् + द् | दद् | १-3-४८ | तृतीयस्तृतीय -चतुर्थे । ठ्द | १-3-६० तवर्गस्य श्चवर्गष्टवर्गाभ्यां योगे
च-ट वर्गों.। थ् +ण् थ्थ्ण १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्यञ्जने। प | १-3-60 तवर्गस्य श्ववर्ग-ष्टवर्गाभ्यां योगे
च-ट वर्गों थ्थ्त् १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकब्यअने।
त् | १-3-४८ धुटो धुटि स्वेवा। थ् + त् तत् १-3-५० अघोषे प्रथमोऽशिटः। थ् + थ् . थ्थ्थ १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्यञ्जने। थ् + थ् । | १-3-४८ धुटो धुटि स्वेवा.।
१-3-५० अघोषे प्रथमोऽशिटः।
१-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्याने। द् | १-3-४८ | धुटो धुटि स्वेवा।
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