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१33. સ્થાની નિમિત કાર્ય | સૂત્રનંબર | સૂત્ર | लि. १-२-२१ इवर्णादरस्वे स्वरेयवरलम् ।
१-२-२२ ह्रस्वोऽपदेवा। १-२-३२ प्लुतोऽनितौ। |१-२-36 चादिः स्वरोऽनाङ्। |१-२-२१ इवर्णादरस्वे स्वरेयवरलम् ।
१-२-२२ ह्रस्वोऽपदेवा। लई . १-२-३२ प्लुतोऽनितौ।
लुई । |१-२-३६ चादिः स्वरोऽनाङ्। लृ + लु |१-२-२१ इवर्णादरस्वेस्वरेयवरलम् । लृ +3 | लुङ
१-२-२२
ह्रस्वोऽपदेवा। लु३ + उ | लु३ उ
१-२-३२
प्लुतोऽनितौ। लू + उ लउ १-२-३६ चादिः स्वरोऽनाइ। लू + ऊ
१-२-२१ इवर्णादेरस्वेस्वरेयवरलम् । लृ +ऊ | लुऊ.
१-२-२२
ह्रस्वोऽपदेवा। लु३ +ऊ | लु३ ऊ १-२-३२ 'प्लुतोऽनितौ। तृ + ऊ | लुऊ |१-२-३६ चादिः स्वरोऽनाङ्। लू + ऋ लु |१-२-२१ । इवदिरस्वे स्वरेयवरलम् । ल + ऋ ल ऋ
१-२-२ ऋलुतिह्रस्वो वा। लू + ऋ | लुत्र |१-२-२२ । ह्रस्वोऽपदेवा
३ + ऋ. | लु३. ऋ |१-२-३२ | प्लुतो ऽनितौ। लू + ऋ | Mऋ |१-२-३६ चादिः स्वरोऽनाङ्। लु+ऋ लु १-२-२१ इवर्णादेरस्वे स्वरेयवरलम् । लू + ऋ | लुऋ १-२-२२ ह्रस्वो ऽपदेवा। लृ३ + ऋ | ल३ ऋ |१-२-३२ प्लुतोऽनितौ। लू + ऋ | लुऋ १-२-३६ चादिः स्वरोऽनाङ्। लृ + लु | लु १-२-१ । समानानां तेन दीर्घः। + लृ | लुलु १-२-२ | ऋलुतिहस्वो वा।
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