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( १९) गणी अधिकार +
दोहा. गुण गीरवा मणी करे, गच्छतणा सुभ काम; जिनागममां दीसे नहीं, पन्यासोना नाम....
कहेवाय संवेगी नामना, नहीं संवेगनो रंग;" - पदवी तणा झगड़ा करे, लई लई गृहस्थी संग,
(ढाल ५ मी.)
देशी उपर प्रमाणे. . समिति गुप्ति जाणे नहीं, सावद्य निर्वद्य हो ! नहि होये मान; दोष जाणे नहीं आहारना, नहीं हो ! भाषानुं ज्ञान. मुं० १. हृष्ट पुष्ट साधु बन्या, माल खाइ हो ! बनीया मस्तान; जूठा योग वहन करे, कळियुगी अहो ! मांडयुं तोफान सु० २ नवतत्त्व नहीं आवडे, नहीं हो ! दशवकालिक ज्ञान; योग बहे भगवती तणा, भरत माहे हो ! मचीउं अज्ञान. सु. ३ सूत्र क्रमसर वांचना, उत्कम हो ! कह्यो दंड निशीथ; पाप उदय पन्यासन, तोडी हो ! निनशासन रीत. मु० ४ वाडा बांध्या पन्यासजी, बीजा हो ! नहीं करावे योग; माया जाल बेठा मांडीने, शासने हो ! लगाव्या रोग सु०५
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