________________
(१७)
नहीं योग नहीं योग्यता, बनी बेठा हो आचार ज पाट; सरि छत्रीश गुणे क्या रह्या, क्यां रही हो गणीसंपदा आठ. सु. १ पाटीदार पटेलीया, कोई हो छीपा माळी जाट, अंगहीना केइ मांजरा, नहीं शोभे हो श्रीवीरने पाट. ऊंचो धर्यो आचारने, क्रिया हो गणे कष्ट समान; आचारज थया अमरिया, नहीं किया हो नहीं रघु ज्ञान. सु. ८ मोटी उपाधि धरावतां, खीताचो हो राखे दो चार; क्या कोरी क्या चीतरी ( शीला ), बंने डूबे हो भवनळ मोझार.
परस्पर छापां छपावता, स्वश्लाघा हो परनिंदक तेह; पैसा खरचे वाणीया, दृष्टिरागी हो नहीं धर्मस्नेह. सु. १० निशीथ आचारंग भण्या विना, अथवा हो भणीने जाये भूल पदवी देवी कल्पे नहीं, जुओ हो व्यवहारनो मूल. सु. ११ हाथी तणा बोजा लेइ, नांखे हो खर उपर मूल; . पदवी देवे अयोग्यने, नहीं जुए हो जातिने कुळ. सु. १२ पदवी देवी अयोग्यने, नहीं हो छोडावे संव; दंड तणा भागी होवे, जुवो हो व्यवहारनो रंग. . सु. १३ . पोताना शिष्य माने नहीं, शं करशे हो शासन- काम; . आचारज घर घर तणा, रह्यो हो निक्षेपो नाम.. ज्ञानयोग उपधानना, नाम लेइ हो ! भेलु करे पाप; लावो लावो करता फरे, भन कलदार ! हो ! बेटा जपे जाप.
..... सु. १६
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org