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________________ (६३) भलु होवे साधु सिद्ध थयो, नहींतर हो ! उठे प्रतीतः । तेथी श्रद्धा शिथील थई, हांसी हो ! करे लोकनी रीत. सु० १० पूर्व पाप वाणिये कीं, उदय आवे हो ! पहोंचे मुनि पास; माला मंत्र बतावी दो, जेम मळे हो ! धननी मोटी रास. सु० ११ झघडो जीतुं राज्यमां; पुत्र हो ! होवे एक बेजः पदवी देवरावं आपने, जगमां हो ! जस मोटो छेन. सु. १२ गृहस्थी धनना लोभीया, साधुने हो ! पदवीनू जाण; बने आणा उंची धरी, ए छे हो ! कलियुगना ए घाण. सु. १३ ___ ढाळ २० मी-छदमस्थ मुनियोने माटे आमममां का छे के भूत भविष्य के वर्तमान काळना निमित्त न बोलवा, तेथी घणी जातना नुकशान थाय छे माटे जिनाज्ञा पालक मुनिने कदी पण निमित्तादि संसार विधिना कार्यो नन करवा जोइये.. तार टपाल अधिकार. .. . दोहरा. . घर छोडीने नीसर्या, छोड्यो जगत स्नेहा . ___ तार टपाल चीठी तणा, समाचार सुण एह. १ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005581
Book TitleMajernamu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year
Total Pages144
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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